सांसारिक जीवन में जप का है महत्व : आचार्य महाश्रमण
सिलीगुड़ी. सांसारिक जीवन में जप का बड़ा महत्व है. माला तो गिनती की सुविधा के लिए एक साधनमात्र है. जप किसी भी तरह से किया जा सकता है केवल भाव शुद्ध होना चाहिए. गीत और भजन भी भक्ति का ही एक रुप है. यह कहना है जैन धर्मावलंबियों के धर्म गुरु आचार्य महाश्रमण महाराज का. […]
सिलीगुड़ी. सांसारिक जीवन में जप का बड़ा महत्व है. माला तो गिनती की सुविधा के लिए एक साधनमात्र है. जप किसी भी तरह से किया जा सकता है केवल भाव शुद्ध होना चाहिए. गीत और भजन भी भक्ति का ही एक रुप है. यह कहना है जैन धर्मावलंबियों के धर्म गुरु आचार्य महाश्रमण महाराज का. वह इन दिनों फारबिसगंज के दौरे पर हैं.
आचार्य श्री के स्वागत में लगातार कई दिनों से धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. साध्वी प्रमुखा जी ने प्रवचन सत्र का आरंभ करते हुए महिलाओं के सबल होने की चर्चा की और इस संदर्भ में आचार्य तुलसी के योगदान का स्मरण किया. साथ ही बच्चे, कन्याएं व युवा पीढ़ि को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मॉर्डन युग के नये पीढ़ि के बच्चों में अधिकांशत: संस्कार की कमी देखी जा रही है. इसका मूल कारण आज की शिक्षा पद्धति है.
वहीं, शिक्षा सार्थक है जिसमें बच्चों को संस्कार निर्माण की पाठ पढ़ायी जाये. आर्चाय श्री के प्रवास दौरे के कार्यक्रम में केवल जैन समाज ही नहीं बल्कि सभी वर्गो के लोग हजारों की तादाद में शामिल हो रहे हैं. साथ ही आस-पास के क्षेत्रों के अलावा बंगाल, बिहार, सिक्किम व नेपाल से भी बड़ी संख्या में आचार्य श्री के दर्शन हेतु श्रद्धालु फारबिसगंज पहुंच रहे हैं. यह जानकारी जैन तेरापंथ समाज के कई संस्थाओं से जुड़े समाजसेवी विनोद आचंलिया ने देते हुए कहा कि कार्यक्रम के भव्य आयोजन में महेंद्र बैद,विनोद आचंलिया, जयप्रकाश घोड़ावत, पूनम सेठिया, ललीत डागर, निर्मल बैद के अलावा अन्य समाजसेवी भी सक्रिय योगदान दे रहे हैं.