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मेडिकल कॉलेज : कई मौत के बाद भी नहीं बदले हालात

सिलीगुड़ी: राज्य सरकार विभिन्न सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सुधार के चाहे लाख दावे कर ले, लेकिन वास्तविक स्थिति इससे बिल्कुल उलट है. ग्रामीण अस्पताल, महकमा अस्पताल तथा जिला अस्पतालों की स्थिति तो बद से बदतर है ही, ऊपर से उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज जैसे बड़े अस्पतालों में भी हर ओर बदहाली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2015 8:28 AM
सिलीगुड़ी: राज्य सरकार विभिन्न सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सुधार के चाहे लाख दावे कर ले, लेकिन वास्तविक स्थिति इससे बिल्कुल उलट है. ग्रामीण अस्पताल, महकमा अस्पताल तथा जिला अस्पतालों की स्थिति तो बद से बदतर है ही, ऊपर से उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज जैसे बड़े अस्पतालों में भी हर ओर बदहाली का आलम है. सिलीगुड़ी सहित उत्तर बंगाल के पांच जिले इन दिनों खतरनाक इंसेफलाइटिस की बीमारी के चपेट में है.
हर दिन ही इस बीमारी से पीड़ित होकर रोगियों की मौत हो रही है. पूरे उत्तर बंगाल में मेडिकल कॉलेज के प्रमुख अस्पताल होने के कारण दूसरे जिले से भी इस अस्पताल में रोगियों की भर्ती करायी जा रही है. रोगी के परिजन बड़ी ही उम्मीद के साथ अपने मरीजों को चिकित्सा के लिए यहां लाते हैं. ऐसे परिजनों को यहां आकर निराशा का सामना करना पड़ता है. अव्यवस्था का यह आलम है कि हर दिन ही इंसेफलाइटिस की बीमारी से पीड़ित रोगियों की मौत हो रही है.

पिछले 48 घंटों में यहां चार रोगियों की मौत हो चुकी है. अब तक कुल 38 लोग इस बीमारी की वजह से मारे जा चुके हैं. उसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन की नींद नहीं खुली है. विशेषज्ञों के अनुसार, इंसेफलाइटिस बीमारी फैलने की मुख्य वजह गंदगी है. यही कारण है कि इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए साफ-सफाई पर विशेष जोर दिया जाता है. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन इस मामले में तो पूरी तरह से उदासीन दिख रहा है. मेडिकल कॉलेज में हर ओर ही गंदगी का आलम है. साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है.

अस्पताल परिसर के हर कोने में गंदगी का अंबार साफ दिख जायेगा. इतना ही नहीं, अस्पताल के अंदर भी नियमित रूप से साफ-सफाई नहीं होने की वजह से गंदगी भरा-परा है. अस्पताल परिसर में गाय-बैल तथा कुत्ते विचरते नजर आते हैं. गाय-बैलों तथा कुत्ताें को अस्पताल के अंदर कोरिडोर में भी विचरते देखा जा सकता है. कोरिडोर में विभिन्न स्थानों पर कुत्ते आराम फरमा रहे होते हैं. इन जानवरों को भगाने की कोई व्यवस्था मेडिकल प्रबंधन की ओर से नहीं की जाती है. ऐसा आलम तब है जब इंसेफलाइटिस की बीमारी की समीक्षा के लिए आये दिन कोई न कोई नेता व मंत्री का दौरा लगा रहता है. इतना ही नहीं, अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों ने चिकित्सा में लापरवाही का भी आरोप लगाया है.
मरीजों के परिजनों का कहना है कि अस्पताल में ठीक से चिकित्सा नहीं की जा रही है. एक विभाग से दूसरे विभाग में रोगियों को ले जाने के लिए पर्याप्त संख्या में स्ट्रेचर तक की व्यवस्था नहीं है. एमआरआई तथा अन्य प्रकार की जांच के लिए परिजन रोगियों को अपने कंधे पर टांग कर संबंधित काउंटर की ओर ले जाते हैं. अगर स्ट्रेचर की व्यवस्था हो भी जाये, तो उस पर रोगियों को ले जाने के लिए ग्रुप डी का कोई कर्मचारी नहीं मिलता है. रोगी के परिजन खुद ही स्ट्रेचर लेकर इधर से उधर भटकते रहते हैं. रोगियों ने परिजनों ने यह भी आरोप लगाया है कि अधिकांश दवाइयां बाहर के दुकानों से लेनी पड़ती है. इस तरह के हालात से रूबरू हो रहे रोगियों तथा उनके परिजनों में भारी रोष है. इस मुद्दे पर सिलीगुड़ी के प्रमुख स्वास्थ्य कार्यकर्ता तथा नॉर्थ बंगाल ब्लड डोनर फोरम के अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का कहना है कि उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में चिकित्सा सेवा पूरी तरह से चरमरा गयी है. डॉक्टरों के साथ-साथ विभिन्न विभागों में नर्सो एवं अन्य कर्मचारियों की भी भारी कमी है. इस बीच, उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव ने इस पूरे मुद्दे को लेकर गुरूवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की. मेडिकल कॉलेज में साफ-सफाई की बदहाल स्थिति को देखकर वह भी नाराज हैं. वह साफ-सफाई को लेकर कल शनिवार को फिर से एक बैठक करेंगे.
क्या कहते हैं मंत्री
इस मुद्दे पर मंत्री गौतम देव का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में साफ-सफाई की व्यवस्था करने के लिए सिलीगुड़ी नगर निगम को कहा गया है. अगर उनके तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की जाती, तो पीडब्ल्यूडी विभाग को काम पर लगाया जायेगा. इसके अलावा बाहर से भी कर्मचारी लाकर यहां साफ-सफाई करायी जायेगी.

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