सिलीगुड़ी: एकबार पूर्व महिला प्रधानमंत्री से एक पत्रकारा ने पूछा था कि महिला होकर आप देश कैसे संभाल लेती है? उन्होंने जवाब दिया -‘जैसे एक घरेलू महिला अपने घर को संभालती है. मेरे लिए यह देश भी एक परिवार है.’
महिला एक कुशल प्रबंधक होती है. लेकिन उसकी क्षमता को पहचानने में उसे सम्मान में अक्सर पुरूष समाज आना-कानी करते है. सिलीगुड़ी ट्राफिक पुलिस के रोड मैप में भी महिलाओं द्वारा बनाये गये पूजा पंडाल को स्थान नहीं मिलता. जबकि वह भी बड़े स्तर पर पूजा करती है. कुछ महिला कमेटी तो पिछले छह सात दशक से पूजा कर रही है.
महिलायें बिना जोर-जबरदस्ती के , भाई, दादा, काका कहकर पैसा लेती है. वह भी जितना देते है, उससे ही संतुष्ठ हो जाती है. इस पैसे से वह ने तो शराब पीती है न ही व्यक्तिगत खर्च के लिए उपयोग करती है. बाघाजतीन एथलेटिक्स क्लब की सचिव नारायणी साहा ने बताया कि हम पूजा के साथ-साथ सामाजिक दायित्व का भी निर्वहन करते है. हम अपने पैसे से कैंसर पीड़ितों को आर्थिक मदद करते है.वहीं आश्रमिका महिला कमेटी छेड़छाड़ के विरूद्ध कमर कसते हुये लड़कियों को सशक्त कर रही है. तो हाकिमपाड़ा स्थित चलंतिका उत्तराखंड के बाढ़ पीड़ितों को सहायता करेगी. सतरूपा क्लब डेंगू के लिए जागरूकता फैला रही है.
इस क्लब ने तो बिना चंदा के पूजा पंडाल तैयार किया. बर्नाली क्लब की महिलायें प्रतिदिन लोगों को नि:शुल्क प्राणायाम करवाती है. तरूण संघ पूजा के माध्यम से पूरे सुभाषपल्ली को जोड़ने का काम करती है. पूरा समाज तरूण संघ में जमा होकर पूजा मनाता है. इतना होने के बावजूद यह महिला क्लब बिना नाम पाये, अपना चुपचाप अपना सामाजिक दायित्व निभा रही है.