उन्होंने कहा कि क्याेंकि 1945 के बाद भी नेताजी के बारे में कई जानकारियां इन फाइलों में मौजूद है. गौरतलब है कि नेताजी से संबंधित 64 फाइलों में कुल 12744 पन्ने हैं. इन फाइलों को कोलकाता पुलिस म्यूजियम में रखा गया है. सभी फाइलों को डिजिटलाइज्ड (डिजिटल फॉर्मेट में बदलना) किया गया है. इन फाइलों से इस बात के कोई सबूत नहीं मिलते कि उनकी मौत ताइवान में एक प्लेन क्रैश में हुई थी. उस वक्त भारत सरकार की ओर से नेताजी के भाई अमीय बोस को लिखी गयी चिट्ठी में कहा गया कि उन्हें ताइवान में प्लेन क्रैश की कोई जानकारी नहीं है.
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1945 के बाद भी जीवित थे नेताजी : ममता
कोलकाता: महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलों को शुक्रवार को पश्चिम बंगाल सरकार ने सार्वजनिक कर दिया. इन फाइलों को पढ़ने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा करते हुए कहा कि इन फाइलों को देखने के बाद पता चला है कि नेताजी की मृत्यु किसी प्लेन क्रैश में नहीं हुई […]
कोलकाता: महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलों को शुक्रवार को पश्चिम बंगाल सरकार ने सार्वजनिक कर दिया. इन फाइलों को पढ़ने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा करते हुए कहा कि इन फाइलों को देखने के बाद पता चला है कि नेताजी की मृत्यु किसी प्लेन क्रैश में नहीं हुई थी, क्योंकि कोलकाता पुलिस के पास नेताजी के संबंध में 1937 से 1947 तक की जानकारियां हैं और इन फाइलों में कहीं भी प्लेन क्रैश होने की घटना का उल्लेख नहीं किया गया है.
गौरतलब है कि ये फाइलें 1937 से 1947 के बीच की हैं. कुछ फाइलों में 300 पेज तक हैं. कुछ फाइलें ऐसी भी हैं, जिसमें हाथ से लिखे नोट्स हैं. बताया जा रहा कि इन्हीं फाइलों में वो लेटर्स भी हैं, जो नेताजी और उनके भाई शरत चंद्र बोस ने एक-दूसरे को लिखे.
बता दें कि अब तक दावा किया जाता रहा है कि नेताजी की एक प्लेन क्रैश में 1945 में मौत हो गई थी. ऐसे में 1947 तक की फाइलें सामने आने से नये सवाल खड़े हो गये हैं. डॉक्यूमेंट्स के हवाले से यह भी कहा गया है कि 1948-49 में ब्रिटेन और अमेरिका की इंटेलिजेंस एजेंसियों का यह मानना था कि नेताजी जिंदा थे और उन्होंने साउथ-ईस्ट एशिया में हुए कई कम्युनिस्ट रिवॉल्यूशन्स में अहम रोल निभाया था.
इन डॉक्युमेंट्स के मुताबिक, ब्रिटिश और अमेरिकन इंटेलिजेंस एजेंसियां मानती थीं कि बोस रूस में ट्रेनिंग ले रहे हैं, ताकि वे दूसरे माओ या टीटो बन सकें. ब्रिटिश सरकार भी इस बात को लेकर बहुत परेशान थी कि नेताजी जिंदा हैं. सुरक्षा एजेंसियां भी ऐसा कोई सबूत नहीं जुटा पाई थीं, जो नेताजी की मौत को कन्फर्म कर पाता. ब्रिटिश सरकार मानती थी कि नेताजी चीन या रूस चले गये हैं.
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