सरकार बदलते ही बिगड़ी जीकेसीइयू की किस्मत

मालदा. मालदा के गनी खान चौधरी इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है.इसकी वजह से इस विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है. पिछले एक वर्ष से गवर्निंग बॉडी का अनुमोदन केंद्र सरकार ने नहीं दिया है. तीन वर्ष के लिए गर्वनिंग बॉडी का चेयरमैन स्वर्गीय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 30, 2015 7:50 AM
मालदा. मालदा के गनी खान चौधरी इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है.इसकी वजह से इस विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है. पिछले एक वर्ष से गवर्निंग बॉडी का अनुमोदन केंद्र सरकार ने नहीं दिया है. तीन वर्ष के लिए गर्वनिंग बॉडी का चेयरमैन स्वर्गीय कांग्रेस नेता गनी खान चौधरी के भाई व सूजापुर के कांग्रेस विधायक नासेरखान चौधरी को बनाया गया था.
वर्ष 2014 के अगस्त महीने में गर्वर्निंग बॉडी की मियाद खत्म हो गयी.नइ कमिटी का गठन किया गया,लेकिन केंद्र सरकार की ओर से अबतक इस नई की मंजूरी नहीं दी गयी है, जिसकी वजह से इस विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग व टेक्नॉलॉजी विभाग बंदी के कगार पर है. पिछले एक वर्ष से कें द्र सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय से कोई आर्थिक सहायत भी नहीं दी गयी है.वर्तमान में इस विश्वविद्यालय की देखरेख नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ दुर्गापुर को सौंपा गया है.

इसको फिर से पुर्नजीवित करने के लिए मालदा के दोनों कांग्रेस सांसद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी से सात अक्टूबर को मुलाकात करेंगे. इस विषय पर उत्तर मालदा की सांसद व जिला अध्यक्ष मौसम नूर एवं दक्षिण मालदा के सांसद अबू सलेम ने बताया कि शिक्षा को और बढ़ावा देने व इस जिले में इजीनियरिंग की पढ़ाइ उपलब्ध कराने के लिए हर तरह की सहायता लेने के लिए प्रधानंमत्री व मानव संसाधन विकास मंत्री से चर्चा करेंगे. केंद्र पर आशा रखते हुए उन्होंने सहायता की उम्मीद जतायी है. वर्ष 2014 के एक अगस्त को भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने तीन सौ बीघे पर बने इस विश्वविद्यालय के भवन का उद्घाटन किया था.2014 से ही मेकेनिकल,इले्ट्रिरकल व फूड प्रोसेसिंग तीन विषयों पर डिग्री कोर्स की शुरूआत हुयी. इसके पहले इस विश्वविद्यालय का शिलान्यास तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह व कांग्रेस चेयरमैन सोनिया गांधी कर गयी थीं. लेकिन केंद्र में सरकार बदलने के बाद ही इस इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय की हालत बिगड़ गयी. प्रथम चरण के लिए केंद्र सरकार ने इस विश्वविद्यालय के निमार्ण के लिए 97 करोड़ रूपये की मंजूरी दी थी एवं 65 करोड़ रूपये दे भी दिये थे. विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ गर्वनिंग बॉडी के पूर्व चेयरमैन अबू नासेर ने बताया कि गनी खान परिवार की ओर से इस विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए जमीन दी यगी. लेकिन वर्तमान केंद्र सरकार गवर्निंग बॉडी तक को अनुमोदन नहीं दे रही. जिसकी वजह से विश्वविद्यालय बंद होने के कगार पर है. उन्होंने बताया कि नारायणपुर के जिस जमीन पर विश्वविद्यालय का निर्माण कराया जा रहा है पिछले छह महीने से निर्माण कार्य ठप है. उन्होंने बताया कि 2010 में इस विश्वविद्यालय को बनाने का काम शुरू हुआ था.लेकिन सरकार बदलने के बाद विकास के नाम पर एक भी रूपया नहीं आया.

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