जिस तरह से कांग्रेस का मुकाबला तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के साथ है. उसी तरह से वाम मोरचा के साथ भी है. उन्होंने माकपा नेता तथा सिलीगुड़ी के मेयर अशोक भट्टाचार्य को भी जमकर खरी-खोटी सुनाई. उन्होंने कहा कि चुनाव में ेकोई अशोक मोडल नहीं होता. अशोक भट्टाचार्य लूट के मोडल हैं. वह कांग्रेस के साथ भीतरी समझौता होने की बात कह कर मतदाताओं को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. चुनाव के दौरान वाम मोरचा की ओर से राज्य चुनाव आयोग पर निष्पक्ष रूप से काम नहीं करने का आरोप लगाया जा रहा है. वास्तविक रूप से इसके लिए वाम मोरचा के नेता ही दोषी हैं.
पहले जब राज्य में वाम मोरचा की सरकार थी तब राज्य विधानसभा में संशोधन प्रस्ताव लाकर चुनाव आयोग को राज्यपाल और राज्य सरकार के अधीन कर दिया गया. अब इसी का खामियाजा सभी को भुगतना पड़ रहा है. श्री भुइयां ने कहा कि सिलीगुड़ी महकमा परिषद का चुनाव 14 महीने पहले ही हो जाना चाहिए था. राज्य सरकार ने चुनाव नहीं करा कर आम मतदाताओं के लोकतांत्रिक अधिकार का हनन किया है. 14 महीने पहले होने वाले चुनाव को राज्य सरकार अब करवा रही है. यह एक तरह से इमरजेंसी जैसी स्थिति है. चुनाव को सिर्फ इमरजेंसी की परिस्थिति में ही टाला जा सकता है. राज्य सरकार ने 14 महीने तक महकमा परिषद के चुनाव को टाल कर यह साबित कर दिया कि राज्य में इमरजेंसी की स्थिति है.