सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी से बागडोगरा की बीच चलने वाली रेलबस का पहिया धीरे-धीरे थमने लगा हैं. जहां इस रूट में रेलबस पूरा दिन आवागमन करती थी, वहीं अब सिर्फ एक स्फिट ही आ जा रही है. यह संकेत है रेलबस का घाटे में चलने का. इस रेलबस को पैसेंजर के तौर पर छोटे-छोटे स्कूली बच्चें ही मिलते हैं, जो बेटिकट यात्र करते हैं. ऐसे में देखा जाये, तो रेलबस का भविष्य अंधकारमय दिख रहा हैं.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस रेलबस को चलाने से रेलवे को करोड़ों में नुकसान हुआ है और अभी भी हो ही रहा है. देखा जाये तो ऐसा लग रहा है कि जब तक रेलबस का पहिया चलाता रहेगा, तब तक रेलवे को फायदा नहीं घाटे का सौदा करना पड़ेगा. फिर भी रेलबस को चलाया जा रहा है. रेलबस सुबह सिलीगुड़ी रेलवे जंक्शन से खुलती है और बागडोगरा तक जाती है. उसके बाद बागडोगरा से फिर वापस सिलीगुड़ी जंक्शन पहुंचती है. कभी खाली रेलबस बागडोगरा पहुंचती है, तो कभी दो-चार पैसेंजर को लेकर. इस संबंध में पूछने पर कटिहार रेलवे डिवीजन के डीआरएम एके शर्मा ने कहा कि रेलबस को पैसेंजर नहीं मिल रहा हैं.
इसलिए समस्या हो रही है. उन्होंने कहा कि अभी एक स्फिट ही रेलबस को चलाया जा रहा है. रेलबस को बंद करने के विचार के बारे में पूछने पर डीआरएम ने कहा कि अभी कोई विचार नहीं है. पर उन्होंने स्वीकार किया की रेलबस को घाटे में चलाया जा रहा है. मालूम हो कि मई 2011 में सिलीगुड़ी से बागडोगरा तक रेलबस का शुभारंभ किया गया.
उस समय सिलीगुड़ी वासियों में खुशी का ठिकाना नहीं था. क्योंकि ओटो और बस सवारियों से मनमाना भाड़ा वसूलते थे.दो रेलबस कोच राजस्थान के फुलेगा से लाये गये थे. रेलबसों का नंबर वाइआबी-10000 व वाइआरबी-10104 है. रेलबस में कुल 50 सीटें हैं. साथ ही यात्रियों को खड़े होने के लिए 45 हैंडल लगे हैं. फिर भी लोगों को रेलबस क्यों नहीं पसंद आयी. यही सवाल उठ रहे हैं. सिलीगुड़ी से बागडोगरा तक इस रेलबस का स्टॉपेज भी कम नहीं हैं. सिलीगुड़ी जंक्शन के बाद, चांदमुनि हाट, माटीगाड़ा स्टेशन, शिवमंदिर बाजार, गोसाईपुर व बागडोगरा है. फिर भी लोगों को नहीं भा रही है रेलबस.