नहीं थम रहा नाले के पास अग्रसेन प्रतिमा स्थापना का विवाद
सिलीगुड़ी. श्री अग्रोहा नरेश सूर्यवंशी श्री अग्रसेन महाराज की मूर्ति शहर के खालपाड़ा के अग्रसेन रोड में एक चौराहे पर गंदे नाले के पास स्थापित करने को लेकर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अग्रवाल समाज में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है. विदित हो कि इसी मुद्दे को लेकर सर्वप्रथम ‘प्रभात […]
सिलीगुड़ी. श्री अग्रोहा नरेश सूर्यवंशी श्री अग्रसेन महाराज की मूर्ति शहर के खालपाड़ा के अग्रसेन रोड में एक चौराहे पर गंदे नाले के पास स्थापित करने को लेकर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है.
अग्रवाल समाज में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है. विदित हो कि इसी मुद्दे को लेकर सर्वप्रथम ‘प्रभात खबर’ ने 20 अक्टूबर (मंगलवार) को प्रमुखता के साथ खबर प्रकाशित की थी. सिलीगुड़ी अग्रसमाज के युवा समाजसेवी सीताराम डालमिया व अधिवक्ता नरेश टिबड़ेवाल के नेतृत्व में दर्जनों कार्यकर्ताओं ने इस कथित अनैतिक कार्य को लेकर मोरचा खोल दिया है.
इन युवा कार्यकर्ताओं का कहना है कि हम किसी कीमत पर गंदे नाले के किनारे अग्रसमाज के आदर्श व युग पुरूष श्री अग्रसेन महाराज की मूर्ति स्थापित नहीं करने देंगे, चाहे हमें जो भी खमियाजा क्यों न भुगतना पड़े. श्री डालमिया का कहना है कि पूरे विश्व में अग्रवाल समाज को एक सभ्य व संपन्न समाज की नजरों से देखा जाता है. सिलीगुड़ी शहर के विकास, धार्मिक व सेवामूलक कार्यों में भी अग्रवाल समाज की अहम भूमिका है. ऐसे में हमारे आदर्शवान महापुरूष श्री अग्रसेन जी की मूर्ति गंदे नाले के पास स्थापित करने का विचार मात्र ही उन्हें अपमानित करना है.
श्री डालमिया का कहना है कि समाज के कुछ तथाकथित ठेकेदारों ने अपने स्वार्थ के लिए ऐसा अनैतिक कार्य करके पूरे अग्रवाल समाज को ठेस पहुंचायी है. श्री टिबड़ेवाल का कहना है कि पूरा समाज चाहता है कि श्री अग्रसेनजी की मूर्ति एक जगह नहीं, बल्कि शहर में कई जगहों पर स्थापित हो, लेकिन ससम्मान व उचित जगहों पर, जहां-तहां नहीं.
श्री टिबड़ेवाल ने एक प्रेस-विज्ञप्ति के मार्फत बताया कि इस विवाद के मद्देनजर समाज के दर्जनों वरिष्ठजनों व युवाओं के हस्ताक्षर युक्त एक पत्र अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के राष्ट्रीय सचिव रामशरण गर्ग, सह-सचिव सुरेश बंसल, सिलीगुड़ी इकाई के निवर्तमान अध्यक्ष किशन बापोडि़या, अध्यक्ष गौरी शंकर गोयल, सचिव विनोद जालान, वरिष्ठ सदस्य रामावतार बरेलिया व सांवरमल आलमपुरिया को सौंपा गया है. इसमें गुजारिश की गयी है कि श्री अग्रसेनजी की मूर्ति नाले के किनारे के बजाये सम्मान व भव्यरूप से किसी गरिमामय स्थान पर स्थापित की जाये.