सिलीगुड़ी: ‘मेड इन चाइना’ प्रोडक्टस की भारत में बाढ़ आ गयी है.लोग इसे खूब इस्तमाल कर रहें है. चाहे मोबाइल हो या सौंदर्य प्रसाधन. इस बात को हम ईमानदारी से स्वीकारते है. अपनी कमजोरियों को स्वीकारने में हमें कोई गुरेज नहीं है.
लेकिन ‘मेड इन इंडिया’ पर हमें क्या हम सबको गुरूर है. हम उत्पादन की संख्या में भले कम हो सकते है, लेकिन गुणवत्ता के मामले में हमारी वस्तुओं की दुनिया पहले भी मुरीद थी और आज भी है. हमारी हस्तशिल्प कला और अन्य उत्पाद विश्व मंच पर धूम मचाये हुये है.
लेकिन हम मार्केटिंग की कला में अब भी पिछड़े है. ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में हमें हर तरह की चुनौती को स्वीकारते हुये आगे बढ़ने की जरूरत है, वरना हम पीछे ही रह जायेंगे. यह कहना है इंडिया ट्रेड प्रोमोशन ओरग्नाइजेशन (आईटीपीओ)की ओएसडी मिनाक्षी सिंह का. गौरतलब है कि आईटीपीओ और उत्तर बंगाल विकास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में वर्दवान रोड स्थित रेलवें ग्राउंड में पांचवां इस्ट हिमालयन एक्सपो का आयोजन किया गया है. यह एक्सपो मेला 25 से 31 अक्तूबर तक चलेगा.
आइटीपीओ के उप महाप्रबंधक दीपक कुमार जैन ने बताया कि अंतराष्ट्रीय मंच में अपने उत्पाद बेचने के लिए हमें काफी तैयारी की जरूरत है. अपनी क्वालिटी और वस्तुओं के दाम व मार्केटिंग की कला में निपुण होना पड़ेगा.उन्होंने बताया कि इस वर्ष ब्राजिल, इटली आदि 29 जगहों पर प्रदर्शनी लगायी जायेगी. वर्ष 2014-15 में 34 अंतराष्ट्रीय जगहों पर प्रदर्शनी लगायी जायेगी. इस प्रदर्शनी में समाज के अत्यंत पिछड़े, आर्थिक रूप से कमजोर, विकलांग तथा कलाकारों को मंच दिया जाता है. प्रदर्शनी वास्तव में इनके लिए एक बेहतर मंच है. उल्लेखनीय है कि पांचवें हिमालयन एक्सपो में गुजरात,मध्य प्रदेश आदि क्षेत्रों से करीब 100 स्टाल लगाये गये है. गत वर्ष 87 स्टाल लगाये गये थे.