13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

भौतिकवादी युग में आलिंगन बना रही अलग पहचान

सिलीगुड़ी: भौतिकवादी युग में यदि हमने कुछ खोया है, तो वह है संवेदना, संवाद और नि:स्वार्थ संबंध. हमारी संवेदना हानि -लाभ से जुड़ी है. जहां हमें लाभ होता है, हमारा काम बन सकता है, उसकी मैय्यत या शादी में जायेंगे. संवाद की जहां बात है, हमारे पास मोबाइल है, कंप्यूटर, इंटरनेट है, वीडियो कांफ्रेंसिंग से […]

सिलीगुड़ी: भौतिकवादी युग में यदि हमने कुछ खोया है, तो वह है संवेदना, संवाद और नि:स्वार्थ संबंध. हमारी संवेदना हानि -लाभ से जुड़ी है. जहां हमें लाभ होता है, हमारा काम बन सकता है, उसकी मैय्यत या शादी में जायेंगे. संवाद की जहां बात है, हमारे पास मोबाइल है, कंप्यूटर, इंटरनेट है, वीडियो कांफ्रेंसिंग से दुनिया से बात कर सकती है. लेकिन अपने समाज व मुहल्ले से हम बात नहीं करते.

किसी को तो अपने परिवार से बात करने का समय नहीं. नि:स्वार्थ संबंध को खोजना आज बड़ा मुश्किल है. इसी परिवेश में व्यक्ति परिवार में रह कर अपरिवारी, समाज में रह कर अकेला, समाज से कटा और कुंठित रहता है. इस मृत , संवेदनहीन समाज के बीच ‘आलिंगन’ संस्था लक्ष्मण बूटी का काम कर रही है.

ओल्ड माटीगाढ़ा रोड स्थित ‘आलिंगन’ संस्था का जन्म हुआ. अभी यह शैशवास्था में है. मात्र चार वर्ष हुए है. 100 से भी अधिक युवा है. जब किसी के घर में विपदा आती है. कोई बीमार पड़ता है. संगठन के सदस्य उसकी पीड़ा में पहुंचकर उसका दर्द बांटते है और हर तरह से सहायता करते है. भ्रमण की जब हम योजना बनाते है, तो कोशिश होती है कि मैं और मेरा पार्टनर जाये.

पूरे परिवार को लेकर जाना अब कम हो गया है. लेकिन इस इलाके में 80 से सौ लोग भ्रमण के लिए निकलते है. वर्ष 2013 में एक साथ 80 लोग निकले थे. यह तो सैर-सपाटा की बात है. सामाजिक दायित्व में भी इसने एक मिसाल कायक की है. गत वर्ष इलाके के शंकर दे, पेट की समस्या से परेशान थे. डाक्टर ने सलाह दी की हैदरावाद ले जाना होगा. शंकर के साथ उसका परिवार के साथ इलाके के 25 लोग गये थे.

संगठन के सहायक सचिव तनुज कुमार दे ने कहा कि संगठन का काम भातृत्व भावना पैदा करना, समाज को जोड़ने का काम है. लेकिन आजकल संगठन के भीतर पद की लड़ाई है, सामाजिक दायित्व के प्रति कोई गंभीर नहीं है. कमेटी के अध्यक्ष अभिजीत दास ने बताया कि यहां के लोग दुर्गापूजा नहीं, जगधात्री पूजा का इंतजार करते है. हम चार दिन की जगह सात दिन करते है. पूरा समाज सात दिन पूजा के माध्यम से मिलते-जुलते है, उत्सव मनाते है. हमारा बजट आठ से दस लाख का होता है. लेकिन हम किसी व्यवसायी से चंदा नहीं वसूलते है. अपने पॉकेट और मेले के स्टाल से पैसा इकट्ठा करते है. सात दिन हम सांस्कृतिक व सामाजिक कार्य करते है. इस बार का सांस्कृतिक कार्यक्रम मन्ना दे को समर्पित रहेगा. सात नवंबर को जगधात्री पूजा का शुभारंभ होगा. इसबार 180 फीट चौड़ा और 70 फीट की ऊंचाई का पंडाल बनाया जायेगा. कर्नाटक के विधानसभा की तर्ज पर पंडाल बनाया जा रहा है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें