अध्यक्ष पर मनमानी का आरोप
सिलीगुड़ी: कलवार सर्ववर्गीय समाज की ओर से सोमवार को जायसवाल भवन में छठव्रतियों के बीच पूजन सामग्री वितरण करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. लेकिन जायसवाल ब्याहुत समाज के अध्यक्ष रामानंद प्रसाद ने कार्यालय का चाभी नहीं दिया. दोनों संगठन में एक ही जाति व समाज के लोग है, लेकिन मनभेद के […]
सिलीगुड़ी: कलवार सर्ववर्गीय समाज की ओर से सोमवार को जायसवाल भवन में छठव्रतियों के बीच पूजन सामग्री वितरण करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. लेकिन जायसवाल ब्याहुत समाज के अध्यक्ष रामानंद प्रसाद ने कार्यालय का चाभी नहीं दिया. दोनों संगठन में एक ही जाति व समाज के लोग है, लेकिन मनभेद के कारण इस समाज के लोगों इन संगठन से कोई लाभ या सहायता नहीं मिल पाती. दो-तीन माह पहले मंत्री गौतम देव ने कलवार सर्ववर्गीय समाज और जायसवाल ब्याहुत समाज के बीच मिलाप करवा दिया था.
लेकिन मनभेद अभी जारी है. यही कारण है कि कार्यक्रम में ट्रस्टी मेम्बर, भूतपूर्व सदस्य वर्तमान सचिव के रहते हुये अध्यक्ष ने कार्यालय की चाबी नहीं दी. कार्यक्रम में बकायदा रामानंद प्रसाद को भी आमंत्रित किया गया था. जायसवाल ब्याहुत समाज के अध्यक्ष रामानंद प्रसाद ने बताया कि हम किसी दूसरे संगठन को कार्यालय का चाभी क्यों दें? जायसवाल ब्याहुत समाज के सचिव व आजीवन सदस्य उमेश प्रसाद का कहना है कि हम बाहर के संगठन नहीं है.
इसी समाज के है. लेकिन रामानंद जी अकेले संगठन चलाना चाहते है. कलवार सर्ववर्गीय समाज के अध्यक्ष ने बताया कि आज जो उपस्थित थे, उनमें से अधिकांश जायसवाल ब्याहुत के सदस्य व पदाधिकारी रह चुके हैं. दरअसल रामानंद प्रसाद के कारण संगठन में कोई काम नहीं होता. गणतांत्रित अधिकार का गलाघोंटा जा रहा है.
मेल-मिलाप का कार्यक्रम बंद है. हम अपने समाज के लोग को एकजुट करने का प्रयास करते है, वहीं दूसरी ओर इस संगठन के आजीवन सदस्य को कार्यालय का चाभी तक नहीं देते. बिना आमसभा के सचिव बने बृज बिहारी गुप्ता से चाभी मांगी तो उन्होंने ना कह दिया. मैनेजर प्रदीप भगत को कहा गया कि मेयर आये या मजिस्ट्रेट, हम चाभी नहीं देंगे. रामानंद प्रसाद ने बताया कि पिछले दिनों मंत्री गौतम देव भी आये थे, वे भी आये चले गये. जरूरी नहीं कि मेयर आये, तो कार्यालय खोला जाए.
कलवार सर्ववर्गीय समाज की ओर से सोमवार को 155 छठव्रतियों को सूप, नारियल, साड़ी, आटा और अगरबत्ती दिया गया. मेयर गंगोत्री दत्ता ने कहा कि यह मात्र बिहारियों का पर्व नहीं. बल्कि भारवासियों का पर्व है. अल्पसंख्य और अहिंदी भाषी भी पूरे विधि-विधान से पूजा करते है.