दो दशक से गणित का अलख जगा रहे मिहिर

सिलीगुड़ी: स्कूल के दिनों को याद करें, तो सबसे अधिक डर गणित के शिक्षक से लगता था. दर्जनों बार रट्टा मारने के बाद जब सर कोई फामरूला पूछे ,तो भूल जाते थे. आखिर इसका उपयोग कुछ था ही नहीं. रिजल्ट में गणित में मिले अंक को देखने और दिखाने का साहस भी नहीं होता था. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 30, 2013 9:22 AM

सिलीगुड़ी: स्कूल के दिनों को याद करें, तो सबसे अधिक डर गणित के शिक्षक से लगता था. दर्जनों बार रट्टा मारने के बाद जब सर कोई फामरूला पूछे ,तो भूल जाते थे. आखिर इसका उपयोग कुछ था ही नहीं. रिजल्ट में गणित में मिले अंक को देखने और दिखाने का साहस भी नहीं होता था. वह डर आज तक बना हुआ है. प्रतिशत निकालने के लिए दिमाग से अधिक का केलक्यूलेटर का इस्तमाल करना पड़ता है. गणित के प्रति इसतरह का एक का भय औसतन छात्रों में होता है. बालुरघाट, दक्षिण चक्कभवानी के मिहिर समाजदार का गणित-प्रेम पूरे बालुरघाट में प्रसिद्ध है.

गणित के प्रति यह जुनून बहुत कम दिखती है. इस विषय के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन दे दिया. गणितज्ञ मिहिर नर्सरी से लेकर ग्रेजुयेट तक के सवाल बनाते हैं और उसका हल भी बताते हैं. कुछ नये सवालों का उन्होंने खोज भी किया है. गणित विषय को लेकर अब तक 28 पुस्तकें लिख चुके हैं, और स्वयं उसे प्रकाशित भी करवाया. गणित के प्रति यह दिवानगी पिछले दो दसक से है. मिहिर समाजदार बताते है कि मेरे समय में मेरे पूर्वज ज्यामिति, अंकगणित का व्यवहारिक रूप से इस्तमाल करते थे. जब हमारे चाचा-मामा घर पर आते थे हमसे जोड़, घटाव, गुणा आदि विभिन्न तरह से सवाल किया करते थे. हमारी बौद्धिक क्षमता की कसौटी गणित हुआ करती थी. लेकिन आज के बच्चे को देखता हूं कि वें अपने सवाल का हल के लिए वे केलक्यूलेटर पर निर्भर है.

मुझे दुख होता है कि गुणा, जोड़ आदि का हल वे बिना कागज-कलम या केलक्यूलेटर से नहीं कर पाते. तकनीक ने उसे बौद्धिक रूप से अपंग बना दिया है. वें बताते है कि मैंने तब से ठाना की छात्रों के बीच से यह डर मैं दूर करूंगा. उल्लेखनीय है कि मिहिर समाजदार विभिन्न स्कूलों में जाकर गणित की प्रदर्शनी लगाते है. छात्र किसी भी समय उनसे फोन पर उनसे गणित से संबंधी समस्या का हल जान सकता है. छात्र ही नहीं शिक्षक व पोस्ट ग्रेजुवेट छात्र भी उनसे गणित का हल जानने आते है.

गणितज्ञ मिहिर ने बालुरघाट के खासपुर स्कूल से पढ़ायी की. बालुरघाट कॉलेज से उन्होंने बीएससी की डिग्री ली. कॉलेज में वे सबसे अव्वल थे. वें बताते है कि बालुरघाट कॉलेज में प्रोफेसर सनद कुमार पंचानन ने हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाया. मिहिर समाजदार राज्य भर के बुक स्टॉल में अपने द्वारा लिखित और प्रकाशित गणित का स्टाल लगाते है. साथ ही पुस्कत -प्रेमियों को गणित की बारीकियों से रूबरू करवाते है. प्रतियोगिता के लिए भी वें गणित लिखते है. गणित के प्रति ऐसी दिवानगी बहुत कम दिखती है. उन्हें बहुत मजा आता है भोंदू से भोंदू छात्र को गणित का ज्ञानी बनाना. उनकी सेवा से हजारों युवा उपकृत हुये. लेकिन राज्य सरकार या किसी संस्था से उन्हें सम्मान नहीं मिला. इसका उन्हें कोई मलाल नहीं है. वें बस अपने इस जुनून में मस्त है.

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