डुवार्स में गोरखालैंड का प्रचार कर रहे हैं ‘पत्ता दाजू’

जलपाईगुड़ी. अलग गोरखालैंड राज्य की मांग की धमक सिर्फ दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि डुवार्स के भी कई इलाकों में है. अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे गोजमुमो नेता बिमल गुरूंग शुरू से ही डुवार्स को लेकर अलग गोरखालैंड राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं. यही वजह है कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2016 2:05 AM
जलपाईगुड़ी. अलग गोरखालैंड राज्य की मांग की धमक सिर्फ दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि डुवार्स के भी कई इलाकों में है. अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे गोजमुमो नेता बिमल गुरूंग शुरू से ही डुवार्स को लेकर अलग गोरखालैंड राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं. यही वजह है कि डुवार्स के भी कई इलाकों में गोजमुमो का संगठन काफी शक्तिशाली है और पार्टी समर्थक अलग राज्य की मांग को लेकर अपने-अपने तरीके से जनमत तैयार करने में लगे हुए हैं.

इन्हीं में एक नाम है गोकुल दोरजी का. मटेली के चिलोनी चाय बागान के रिटायर चाय श्रमिक गोकुल दोरजी यहां ‘पत्ता दाजू’ के नाम से पहचाने जाते हैं. वह लीची तथा नींबू के पत्ते से अद्भूत धुन निकालते हैं. उनके पॉकेट में हमेशा ही लीची तथा नींबू के पत्ते भरे रहते हैं. दो-चार लोग मिलते ही पत्ते को मोड़ कर एक विशेष प्रकार की सीटी बना लेते हैं और उसी से तरह-तरह के धुन निकालते हैं.

इस दौरान वह अलग गोरखालैंड राज्य की मांग करने से नहीं हिचकते हैं. उनका कहना है कि एक न एक दिन गोरखालैंड राज्य जरूर बनेगा. गोकुल दोरजी की उम्र करीब 54 वर्ष है. दस साल पहले उन्होंने स्वेच्छिक अवकाश ले लिया है. वह लीची तथा नींबू के पत्ते से बांग्ला, हिन्दी तथा नेपाली गाने के धुन निकालते हैं. पिछले 22 वर्षों से उनका यह काम लगातार जारी है.

अलग गोरखालैंड राज्य की मांग वह 22 वर्षों से कर रहे हैं. शिब्चू के एक स्कूल छात्र समीर छेत्री का कहना है कि ‘पत्ता दाजू’ बहुत अच्छे धुन बजाते हैं. एक अन्य छात्रा आरती तामांग का भी कुछ ऐसा ही कहना है. इस संबंध में जब गोकुल दोरजी से बातचीत की गई, तो उन्होंने कहा कि अलग राज्य उनका सपना है. अलग राज्य की मांग को लेकर इसी तरीके से उनका प्रचार जारी रहेगा. जब तक अलग गोरखालैंड राज्य का गठन नहीं हो जाता, तब तक वह पत्ते से धुन निकालते रहेंगे. उन्होंने कहा कि पत्ता से धुन निकालने के लिए काफी दम की जरूरत होती है. वह कोई नशा नहीं करते.

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