मानव तस्करी के बढ़ते मामले पर अमेरिका ने जतायी चिंता, भारत के साथ मिलकर काम करने पर जोर
सिलीगुड़ी. अमेरिकी वाणिज्य दूतावास एवं शक्ति वाहिनी की ओर से गुरुवार को उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय में मानव तस्करी को लेकर एक राष्ट्रीय स्तर के कॉनक्लेव का आयोजन किया गया . भारत में इस तरह के पांचवें कॉन्क्लेव का आयोजन यहां हुआ है. इससे पहले रांची, कोलकाता एवं गुवाहाटी जौसे शहरों में इस प्रकार का आयोजन […]
इससे पहले रांची, कोलकाता एवं गुवाहाटी जौसे शहरों में इस प्रकार का आयोजन हो चुका है. भारत से अपने रिश्ते का और प्रगाढ़ करने के लिए अमेरिकी के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मानव तस्करी जैसी समस्याओं पर एक साथ मिलकर काम करने का निर्णय लिया है. यह कहना है अमेरिका के महा वाणिज्य दूत क्रैग हॉल का. उन्होंने कहा कि बराक ओबामा भारत से अपने रिश्ते को 100 सालों तक बरकरार रखने के लिये मानव तस्करी जैसे अंतराष्ट्रीय समस्या पर मिलकर काम करने पर जोर दिया है. मानव तस्करी एक अंतराष्ट्रीय अपराध हैएवं इसके समाधान के लिये अंतराष्ट्रीय स्तर पर सभी देशों को एक साथ काम करना होगा. राष्ट्रीय क्राईम रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक पश्चिम बंगाल मानव तस्करी के मामले में काफी बदनाम है़ यहां इस प्रकार का अपराध सबसे अधिक होता है़ पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक सीमावर्ती इलाकों में यह अपराध हो रहा है. बांग्लादेश, भूटान, नेपाल आदि देशों की सीमा सटे होने की वजह से सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, मालदा आदि जैसे शहरों में इस अपराध को बड़ी आसानी से अंजाम दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि भारत एवं अमेरिका लोकतंत्र एवं मानवाधिकार की रक्षा को सबसे अधिक महत्व देते हैं. इसी वजह से ये दोनों देश इस समस्या पर साथ काम कर रहे हैं. मानव तस्करी को रोकना एवं पीड़िता को इंसाफ दिलाना ही हमारी पहली प्राथमिकता है.
शक्ति वाहिनी के अध्यक्ष रवि कांत ने बताया कि भारत पिछले पांच छह वर्षों से मानव तस्करी पर अंकुश लगाने के लिये कानून बना रहा है एवं इसका फायदा भी मिल रहा है़ उन्होंने कहा कि लोगो को इसके विरूद्ध जागरूक होने की जरूरत है. इस अपराध पर अंकुश लगाने के लिये प्राथमिक स्तर पर प्रशासन, स्वयंसेवी संगठन आदि को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है. मानव तस्करी के अधिकांश मामलों में पाया गया है कि गरीब परिवार की लड़कियों को तस्कर अपना निशाना बनाते हैं. लड़कियों को जिस्मफरोशी के धंधे में धकेल देते हैं. इसके एवज में परिवार को कुछ रूपया देकर चुप करा देते हैं. उन्होंने कहा कि गरीब होना इस अपराध का मूल कारण नहीं है़ मजदूरी, सेक्स एवं मानव अंग की बढ़ती मांग इस अपराध का मूल जड़ है.