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आंदोलन: नदी से बालू-पत्थर निकालने वाले मजदूरों ने किया ऐलान, 22 को नदियों में काम बंद

सिलीगुड़ी: आगामी 22 फरवरी सोमवार से पूरे जलपाईगुड़ी जिले की सभी नदियों से बालू, बजरी व बोल्डर निकालने का काम बंद कर दिया जायेगा़ चार सूत्री मांगो को लेकर जलपाईगुड़ी रिवर बेड क्वारी परमिट होल्डर वेलफेयर एसोसियशन के सदस्यों ने इसके साथ ही आंदोलन की घोषणा कर दी है. संगठन के अध्यक्ष मिन्टू दास ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 18, 2016 1:24 AM

सिलीगुड़ी: आगामी 22 फरवरी सोमवार से पूरे जलपाईगुड़ी जिले की सभी नदियों से बालू, बजरी व बोल्डर निकालने का काम बंद कर दिया जायेगा़ चार सूत्री मांगो को लेकर जलपाईगुड़ी रिवर बेड क्वारी परमिट होल्डर वेलफेयर एसोसियशन के सदस्यों ने इसके साथ ही आंदोलन की घोषणा कर दी है. संगठन के अध्यक्ष मिन्टू दास ने बताया कि 22 फरवरी तक राज्य सरकार मजदूरों की मांग पूरी नहीं करती तो आंदोलन शुरू कर दिया जायेगा. यहां गौरतलब यह है कि बालू, बजरी निकालने वाले ये लोग अगर हड़ताल पर चले गये तो जिले में निर्माण कार्य पर काफी असर पड़ेगा.

पर्यावरण प्रेमी बिप्लब चौधरी ने वर्ष 2015 में जलपाईगुड़ी की नदियों में खनन को लेकर कलकत्ता हाइ कोर्ट में मामला दायर किया था. इसके बाद अदालत के निर्देशानुसार वर्ष 2015 के अगस्त महीने से जलपाईगुड़ी जिले के अंतर्गत लीस, घीस, चेल, माल, कुरती, तीस्ता आदि सभी नदियों से बालू पत्थर निकालने का काम बंद करा दिया गया है. इसके साथ ही इस कार्य के साथ जुड़े ट्रकों का काम बंद है़ ट्रक बंद है तो चालक व खलासी भी बेरोजगार हैं. इसके अलावा बालू पत्थर लोड, अनलोड करने वाले श्रमिक भी बेकार बैठे हैं. जबकि इन नदियों के अलावा अन्य नदियों से बालू पत्थर निकालने का काम जारी है़ मजेदार बात यह है कि जलपाईगुड़ी जिले के अधिकांश चाय बागान बंद एवं ठप पड़े हुए हैं. यहां के श्रमिक भी बालू पत्थर उठाकर अपनी रोजी रोटी कमा रहे हैं. वर्तमान में इस पेशे से जुड़े जिले के करीब पचास हजार श्रमिक बेरोजगार हैं. इस ओर राज्य सरकार का कोई ध्यान ही नहीं है.

मिन्टू दास ने आगे बताया कि इस समस्या के समाधान के लिये तीस्ता कैनल इनेस्टीगेशन डिवीजनल इंजीनियर एवं जिला शासक को ज्ञापन दिया गया़ इसका कोइ लाभ नहीं हुआ. इसके बाद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सिलीगुड़ी दौरे के दौरान 8 जनवरी, 2016 को उत्तरकन्या में उनके सचिव के माध्यम से ज्ञापन सौंपा. इसके बाद मुख्यमंत्री फिर 21 जनवरी को दार्जिलिंग दौरे के पर आयीं तो उस दौरान भी दार्जिलिंग जिला शासक के माध्यम से उन्हें इसकी जानकारी दी गयी. श्री दास ने आगे कहा राज्य सरकार राजस्व भी वसूल रही है तो दूसरी ओर लोग अवैध रूप से नदी की जमीन को दखल भी कर रहे हैं. ऐसे में क्वारी परमिट होल्डर काफी मुसीबत में पड़ गये हैं.

संगठन की ओर से मिन्टू दास ने सरकार से अविलंब रोजी रोटी के वैकल्पिक व्यवस्था करने या फिर कानूनी प्रक्रिया को पूरी कर नदियों से बालू पत्थर निकालने की मंजूरी देने की मांग की. मिन्टू दास ने बताया कि यह कैसा कानून है कि एक ही नदी में कहीं खुदाइ की इजाजत तो कहीं नहीं है़.

दार्जिलिंग जिले में नदी की खुदाइ होती है,लकिन इस नदी के जलपाईगुड़ी में प्रवेश करते ही वहां खुदाइ पर रोक है़ उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग जिले में नदी से बालू पत्थर निकाला जा रहा है लेकिन जलपाईगुड़ी में कानूनी रोक है. अगर 22 फरवरी तक इस कानूनी जटिलता का हल नहीं निकाला गया तो 22 फरवरी से अनिश्चित काल के लिये काम बंद किया जायेगा़ इससे होने वाली हानि की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी.

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