एमएलए फंड का पैसा खर्च करने में विफल रहे पहाड़ के तीनों विधायक

सिलीगुड़ी: राज्य विधानसभा चुनाव दरवाजे पर दस्तक दे चुका है. पिछले पांच वर्षों में विधायकों द्वारा किये गये विकास के आधार पर ही आम मतदाता फिर से अपना जनप्रतिनिधि निर्वाचित करेंगे. पहाड़ पर गोरखा जनमुक्ति मोरचा(गोजमुमो) के तीनों विधायको के कार्यो पर भी पहड़ावासियों की नजर है. प्राप्त जानकारी के अनुसार पहाड़ के तीन विधायक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 2, 2016 1:46 AM
सिलीगुड़ी: राज्य विधानसभा चुनाव दरवाजे पर दस्तक दे चुका है. पिछले पांच वर्षों में विधायकों द्वारा किये गये विकास के आधार पर ही आम मतदाता फिर से अपना जनप्रतिनिधि निर्वाचित करेंगे. पहाड़ पर गोरखा जनमुक्ति मोरचा(गोजमुमो) के तीनों विधायको के कार्यो पर भी पहड़ावासियों की नजर है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार पहाड़ के तीन विधायक अबतक अपने एमएलए फंड से पूरा रूपया खर्च नहीं कर पाये हैं. पिछले वर्ष 21 सितंबर को तीन में से दो विधायकों ने अपने पार्टी प्रमुख विमल गुरूंग के कहने पर इस्तीफा दे दिया़ कालिम्पोंग के विधायक ने गोजमुमो को ही बाय बाय कर दिया और विधायक पद पर बने रहे़ वर्तमान में उन्होंने अपनी नइ पार्टी बना ली है़ ने गोरखा जनमुक्ती मोरचा से अपना नाता तोड़ लिया.

दार्जिलिंग के विधायक त्रिलोक देवान ने गोजमुमो व विधायक दोनों ही पदों से इस्तीफा दे दिया़ कर्सियांग के विधायक रोहित शर्मा ने विधायक पद से इस्तीफा देकर गोजमुमो के बने हैं. कालिम्पोंग के विधायक डा. हर्क बहदुर छेत्री अपनी जन आंदोलन पार्टी(जाप) बना चुके हैं. राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने गोजमुमो को कमजोर करने के लिये हर्क बहादुर को मैदान में उतार दिया है. तृणमूल के किसी भी नेता ने जाप के गठन पर किसी प्रकार की कोइ प्रतिक्रिया नहीं दी है.तृणमूल के नेता इस पार्टी का राजनैतिक विरोध भी नहीं कर रहे हैं.इस बीच, प्राप्त जानकारी के अनुसार पहाड़ के तीनों विधायकों ने राज्य सरकार से प्रतिवर्ष मिलने वाले एमएलए फंड का साठ लाख रूपया इस वर्ष अबतक खर्च नहीं कर पाये हैं. जाहिर तौर पर इससे नुकसान आखिरकार जनता को ही उठाना पड़ता है़. इधर सिलीगुड़ी के विधायक डा. रूद्रनाथ भट्टाचार्य, फांसीदेवा के विधायक सुनील तिर्की आदि ने अपने विधायक विकास फंड का पूरा रूपया विकास कार्यों में लगा दिया है. विधायक श्री भट्टाचार्य व श्री तिर्की ने बताया कि विधायक फंड का पूरा रूपया वह जनस्वार्थ के कार्यों में खर्च कर चुके हैं.


अब पहाड़ के विधायकों की बात की जाए तो कालिम्पोंग के विधायक डा. हर्क बहादुर छेत्री ने इस मामले में अपनी सफाइ दी है़ उन्होंने कहा कि प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 30 लाख के दो किश्तों में विधायक फंड का रूपया सरकार देती है़ इस वित्तीय वर्ष में 30 लाख की पहली किश्त मिली,जिसे खर्च कर दिया गया है़ दूसरी किश्त की रकम के लिए कार्यों की तालिका तैयार है. रूपया आते ही निर्धारित कार्यों के लिये उसे आवंटित कर दिया जायेगा.
इधर, कर्सियांग के पूर्व विधायक रोहित शर्मा व दार्जिलिंग के पूर्व विधायक त्रिलोक देवान ने बताया कि इस्तीफा देने से पहले इस वित्तीय वर्ष में उन्हें तीस लाख की पहली किश्त मिली थी जिसे उन्होंने विकास कार्यों के लिये आवंटित कर दिया था. रोहित शर्मा ने आगे बताया कि दूसरी किश्त के लिये 25 मई 2015 को राज्य सरकार से आवेदन किया था़ राज्य सरकार ने धन का आवंटन नहीं किया. उनके विरोधियों का कहना है कि विधायक पद से इस्तीफा देने व कार्यकाल खत्म होने से पहल अगर वह इस दिशा में पहल करते तो फंड का अवंटन हो जाता़ समय पर पहल नहीं करने की वजह से फंड मिलने में देरी हुयी़ श्री शर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने राजनीतिक कारणों की वजह धन के आवंटन में देरी की.राज्य सरकार ने दूसरी किश्त दी ही नहीं तो फिर खर्च कहां से करते़

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