उड़ी बाबा!..भापा पीठा पांच टाका

सिलीगुड़ी: ठंड में दो चीजे सबको पसंद है. एक प्रकृति का दीदार करना. दूसरा चाय के साथ पकौड़ा और पीठा खाना. ठंड के मौसम में बंगाल में गलियों और सड़कों पर अधिक दिखने को मिलता है, वह है भाप से बनने वाला भापा पीठा. जिसे कई भक्खा भी कहते हैं. यह अरवा चावल को पीस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2013 8:35 AM

सिलीगुड़ी: ठंड में दो चीजे सबको पसंद है. एक प्रकृति का दीदार करना. दूसरा चाय के साथ पकौड़ा और पीठा खाना. ठंड के मौसम में बंगाल में गलियों और सड़कों पर अधिक दिखने को मिलता है, वह है भाप से बनने वाला भापा पीठा. जिसे कई भक्खा भी कहते हैं.

यह अरवा चावल को पीस कर बनता है. इसमें नारियल व गुड़ डाल कर बनाया जाता है. इस बार इसे खाने से पहले पॉकेट गर्म और खाने के बाद मुंह जलता है. कारण जिस भक्खा या भापा पीठा का दाम 10 साल पहले आठ आना था, वह आज पांच रुपये हो गया. हो भी क्यों न? 10 साल पहले अरवा चावल 6 रुपये आठ रुपये में मिलता था. अब वही 25 रुपये हो गया है.

माझाबाड़ी की सुचित्र हलदार पिछले 17 वर्ष से इस व्यवसाय से जुड़ी है. घर का काम करने के बाद संध्या के समय बाघाजतीन पार्क में वह चावल, माटी की हंडी लेकर भापा पीठा बनाने और बेचने के लिए बैठ जाती है. जब वह भापा पीठा का दाम पांच रुपये बताती है, लोग उस पर बरस पड़ते हैं. पढ़े-लिखे लोग शांत भाव से उसका भापा पीठा खरीद लेते हैं, लेकिन अक्सर थोड़े कम पढ़े-लिखे लोग उससे झगड़ने लगते हैं. वह आधा समय दुकान चलाती है. आधा समय मूल्य-वृद्धि का कारण व अपनी माली हालत का हवाला देकर अपना भापा पीठा बेचती है.

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