सिलीगुड़ी: पिछले लोकसभा चुनाव की तरह ही मोदी लहर के भरोसे भाजपा चुनावी जीत का सपना देख रही है़ लोकसभा चुनाव में भाजपा के एस.एस अहलुवालिया के समर्थन में भाजपा के स्टार प्रचारक मरेंद्र मोदी ने नागरिकों का ऐसा ब्रेन वास किया था कि वह दार्जिलिंग सीट से जीत गए थे. अब सात अप्रैल को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिलीगुड़ी व नागराकाटा में दो चुनावी जनसभा को संबोधित करने आ रहे हैं. इन्हीं दो रैलियों में वे उत्तर बंगाल के सभी भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार करेंगे. राजनीतिज्ञ विशेषज्ञों का मानना है दार्जिलिंग जिला के पूर्व सांसद जसवंत सिंह से यहां के लोग खुश नहीं थे़.
भाजपा के विरोध की लहर थी़ तब मोदी के भाषण ने तमाम विपरित परिस्थियों के बाद भी अहलुवालिया को जीत दिलवा दी थी. लोकसभा चुनाव के बाद राज्य विधानसभा चुनाव में पैर जमाने के लिये भाजपा के पास अच्छा मौका है. राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस व माकपा-कांग्रेस गठबंधन उम्मीदवारों के विरूद्ध भाजपा उम्मीदवारों का मैदान जमना एक चुनौती है. दार्जिलिंग जिले की बात की जाए तो यहां कुल छह सीटें है, जिनमें से पहाड़ की तीन दार्जिलिंग, कर्सियांग व कालिंपोंग में भाजपा की सहयोगी पार्टी गोरखा जनमुक्ति मोरचा(गोजमुमो) बनाम तृणमूल कांग्रेस की लड़ाई है. पहाड़ की तीनों विधानसभा सीट हासिल करने के लिये तृणमूल ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.
ऐसे में भाजपा की साख दांव पर लग गयी है. इधर समतल के सिलीगुड़ी, माटिगाड़ा-नक्सलबाड़ी व फांसीदेवा सीट पर भी भाजपा ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया है. समतल के तीनों सीटों पर भाजपा के विरूद्ध माकपा-कांग्रेस गठबंधन व तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार जोरदार चुनाव प्रचार कर रहे हैं. ऐसी परिस्थिति में पहाड़ हो या समतल नरेंद्र मोदी जिले के सभी सीटों पर कब्जा करने के उद्देश्य से ही चुनावी रैली में अपना वक्तब्य रखेगें. ऐसे,लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा फिर से जिले में दुर्बल नजर आ रही है.
भाजपा सांसद पर विकास नहीं करने का आरोप बार-बार उठता रहा है. दार्जिलिंग सहित पूरे उत्तर बंगाल में भाजपा की लोकप्रियता में काफी कमी आयी है. काफी प्रयास करने के बाद भी पार्टी में गुटबाजी कम नहीं हो रही है. चुनाव से पहले केपीपी जैसी सहयोगी पार्टियों ने भी भाजपा का साथ छोड़ दिया. राज्य के सोलहवें विधानसभा चुनाव में अब तक उत्तर बंगाल में भाजपा उम्मीदवार अपने तरीके से ही प्रचार करते आए हैं. राज्य स्तर के हेवीवेट नेता की बात तो छोड़िए जिले के सांसद ही अभी तक उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार में नहीं दिख रहे हैं. मतदान के मात्र 12 दिन बचे हैं. अब तक भाजपा उम्मीदवार गठबंधन या तृणमूल के प्रचार की तरह चमक नहीं दिखा पाये हैं. भाजपा उम्मीदवारों का पूरा भरोसा मोदी पर ही है़