17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गंठबंधन के बीच हो रहा है दोस्ताना मुकाबला

सिलीगुड़ी: अलीपुरद्वार विधानसभा सीट पर गठबंधन तथा तृणमूल कांग्रेस के बीच कांटे के मुकाबले के आसार क्षीण हो गये हैं. वाम मोरचा तथा कांग्रेस के बीच यहां गठबंधन नहीं हुई है, जिसकी वजह से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार सौरभ चक्रवर्ती की राह आसान हो गई. सौरभ चक्रवर्ती पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. इस […]

सिलीगुड़ी: अलीपुरद्वार विधानसभा सीट पर गठबंधन तथा तृणमूल कांग्रेस के बीच कांटे के मुकाबले के आसार क्षीण हो गये हैं. वाम मोरचा तथा कांग्रेस के बीच यहां गठबंधन नहीं हुई है, जिसकी वजह से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार सौरभ चक्रवर्ती की राह आसान हो गई. सौरभ चक्रवर्ती पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट पर उनका मुकाबला पुराने खिलाड़ी आरएसपी के निर्मल दास के साथ है. हालांकि कांग्रेस के विश्वरंजन सरकार भी मैदान में हैं.
पिछली बार इस सीट से कांग्रेस के देव प्रसाद राय चुनाव जीते थे. उन्होंने वाम मोरचा समर्थित निर्मल दास को हराया था. देव प्रसाद राय इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. माकपा तथा कांग्रेस के बीच गठबंधन का वह शुरू से ही विरोधी रहे हैं. इसी के विरोध में इस बार उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है. वह एक तरह से कांग्रेस के बागी हो गये हैं. कांग्रेस शुद्धिकरण मंच का गठन कर वह कांग्रेस के खिलाफ ही मोरचा खोले हुए हैं. इस मामले को लेकर वह लगातार कन्वेंशन का भी आयोजन कर रहे हैं. देव प्रसाद राय का कहना है कि आम कांग्रेसी किसी भी कीमत पर माकपा के साथ गठबंधन को स्वीकार नहीं करेंगे. हालांकि उन्होंने गठबंधन को रोकने की काफी कोशिश की थी.
वह सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी के दरबार में भी हाजिर हुए थे. उसके बाद भी वह गठबंधन को रोक नहीं पाये. यह दीगर बात है कि अलीपुरद्वार में वाम मोरचा और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं हो पाया. माकपा के तमाम विरोध के बाद भी आरएसपी ने निर्मल दास को मैदान में उतार दिया है. निर्मल दास राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं. वह इसी सीट से चार बार चुनाव जीत चुके हैं. वर्ष 2011 के चुनाव में वह उम्मीदवार नहीं थे.

पार्टी ने दिग्गज क्षीति गोस्वामी को टिकट दिया था. वह कांग्रेस के देव प्रसाद राय से करीब सात हजार वोट से हार गये थे. इस बार वाम मोरचा ने इस सीट पर कांग्रेस का समर्थन किया है. आरएसपी ने इस पर नाराजगी जतायी है. निर्मल दास चार बार विधानसभा चुनाव जीतने की दुहाई देकर ही वह मैदान में डटे हुए हैं. उनका साफ-साफ कहना है कि वह किसी भी कीमत पर चुनाव मैदान से नहीं हटेंगे. दूसरी तरफ वर्ष 2011 के चुनाव में इस सीट से कांग्रेस की जीत हुई थी, इसलिए यहां स्वाभाविक रूप से कांग्रेस का ही दावा बनता है. यही वजह है कि कांग्रेस की ओर से विश्वरंजन सरकार मैदान में हैं.

इसके अलावा भाजपा की ओर से कुशल चटर्जी भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि गठबंधन में दरार का लाभ सीधे तौर पर तृणमूल कांग्रेस के सौरभ चक्रवर्ती को मिलेगा. सौरभ चक्रवर्ती भी कभी कांग्रेसी थे. दो वर्ष पहले ही वह तृणमूल में शामिल हुए हैं. वह पार्टी सुप्रीमो तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के काफी विश्वासपात्र हैं. वह तृणमूल कांग्रेस के जलपाईगुड़ी जिले के साथ ही नवगठित अलीपुरद्वार जिले के भी अध्यक्ष हैं. तृणमूल में उनका जलवा इतना अधिक है कि वह बगैर विधायक बने ही पहले से ही कई महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हैं. ममता बनर्जी ने उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव को हटाकर उन्हें एनबीएसटीसी का चेयरमैन बनाया है. इसके साथ ही वह ग्रामीण बैंक के भी चेयरमैन हैं. वह दिन-रात चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. उनका कहना है कि राज्य के लोग ममता बनर्जी के साथ हैं. अलीपुरद्वार से उन्होंने जीत का दावा किया है. अलीपुरद्वार विधानसभा सीट का गठन नगरपालिका क्षेत्र के अलावा बंचुकमारी, चाकवाखेती, पोरोलपार, पतलाखावा, सालकुमार-1 तथा 2, तप्सीकांटा, विवेकानंद-1 तथा 2, चापोरेरपार-1 तथा 2 तथा टाटपाड़ा-2 ग्राम पंचायत को लेकर हुआ है. यह विधानसभा सीट अलीपुरद्वार लोकसभा सीट के अधीन है. 1951 से लेकर अब तक इस सीट से कांग्रेस अथवा आरएसपी की जीत होती रही है. 1977 से लेकर 2006 तक इस सीट पर आरएसपी का कब्जा था. 2011 में तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन कर कांग्रेस ने इस सीट पर सेंध लगा दी. तब कांग्रेस के देव प्रसाद राय ने तत्कालीन वाम मोरचा सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे क्षीति गोस्वामी को हरा दिया था. तब भाजपा उम्मीदवार माणिकचंद साहा 8238 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे.

कौन-कौन हैं मैदान में
चुनाव आयोग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इस सीट से कुल आठ उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. तृणमूल की ओर से सौरभ चक्रवर्ती, कांग्रेस के विश्वरंजन सरकार, आरएसपी के निर्मल दास के अलावा भाजपा के कुशल चटर्जी, बसपा के गौरी राय, एसयूसीआईसी के आलोकेश दास, आमरा बंगाली के दलेन्द्र नाथ राय तथा निर्दलीय संतोष कुमार बालो मैदान में हैं. मजेदार बात यह है कि संतोष कुमार बोला 2011 में भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े थे और 3072 वोट लाने में कामयाब रहे थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें