भारत और बांग्लादेश के बीच फंसे छीटमहल के पेंच के बीच इनलोगों की जिंदगी झूल रही थी़ यही वजह है कि देश की आजादी के इतने वर्षों बाद भी यहां के लोगों को कभी वोट देने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ था़ इन्हीं में से एक नाम है असगर अली का़ असगर अली 103 साल के हो गये हैं और अब तक कभी भी वह लोकतंत्र के महापर्व का मजा नहीं ले सके़ अब जब उनकी उम्र 104 साल हो चुकी है तो वह जिंदगी में पहली बार वोट देंगे़ राज्य विधानसभा चुनाव के क्रम में पांच मइ को कूचबिहार जिले में विधानसभा की नौ सीटों पर मतदान होना है़ वह सिर्फ अकेले मतदान नहीं करेंगे़ उनके परिवार की तीन पीढ़ी के लोग वोट देंगे़ इन सभी को भारत की नागरिकता मिली है और इसको लेकर इनके अंदर भारी उत्साह है़ इनका कहना है कि असली आजादी तो अब जाकर मिली है़.
भारत की नागरिकता पाकर इनके अंदर का जोश देखते ही बनता है़ अजगर अली का कहना है कि उनका परिवार आजादी के पहले से ही मशालडांगा आकर बस गया था़ तब से लेकर यहीं हैं. देश आजाद हुआ,पाकिस्तान बना और बाद में बांग्लादेश भी बन गया़ वह तीनों देश में रहे,लेकिन नागरिकता कहीं की नहीं मिली़ सारी जिंदगी खानाबदोश बने रहे़ उनके घर के आसपास से बजली के तार गए हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी बिजली नहीं देखी़ 103 साल की जिंदगी उन्होंने लालटेन के उजाले में ही गुजारी है़. उनका सात बच्चों का भरा पूरा परिवार है़ अब उनकी एक ही इच्छा है कि जीते जी वह मशालडांगा छीटमहल का विकास देख लें.
अजगर अली के दो पुत्र बिलाल हुसैन और अबुबकर सिद्दिकी का कहना है कि काफी तकलीफें झेल ली है़ अब भारत का नागरिक बनने के बाद उम्मीद है कि सभी तकलीफें दूर हो जायेगी़ अजगर अली का पोता जमाल हुसैन का कहना है कि विकास के लिए वह लोग वोट देंगे़ यह पल उनके जीवन का सबसे अविस्मरणीय रहेगा़ मशालडांगा छीटमहल में कुल नौ हजार 716 मतदाता हैं और सभी पहली वार वोट देंगे़ इनमें 561 मतदाता ऐसे हैं जो शुरू से भारत के नागरिक रहे हैं,लेकिन छीटमहल के बांग्लादेश सीमा में होने की वजह से भारतीय सीमा क्षेत्र में मतदान के लिए नहीं पाते थे़ अब सारी दूरी खत्म हो गयी है़ एक नयी जिंदगी और नया सवेरा इनसभी के सामने है़ चुनाव आयोग ने छीटमहल के नए नागरिकों के लिए कुल 41 मतदान केंद्र बनाने का निर्णय लिया है़ सभी को मतदाता पहचान पत्र प्रदान कर दिया गया है़.