आने को है रमजान, कैसे होगा निदान
सिलीगुड़ी. सात जून से मुस्लिम भाइयों का रमजान मुबारक जो पवित्र महीना माना जाता है, शुरू हो रहा है. इस पवित्र महीने में लोग रोजा (उपवास) करते हैं तथा अल्लाह की इवादत करते हैं. इस महीने लोग गरीबों की मदद करते हैं. गरीब रोजेदारों को कपड़ा, फल इत्यादि देते हैं. उत्तर दिनाजपुर (चोपड़ा), सिलीगुड़ी, न्यू […]
खासकर उत्तर दिनाजपुर जिले के चोपड़ा सैकड़ों गरीब रोजेदार हैं और यह सभी मदद की आस लगाए हुए हैं. इस संबंध में उत्तर दिनाजपुर चोपड़ा के मौलाना काजीमोइद्दीन ने बताया कि पूरे राज्य में काफी गरीब मुस्लिम हैं,उसे देखने वाला कोई नहीं है, हमारे गांव में मस्जिद बन रही है, लेकिन हम लोग आपस में चंदा भी करते हैं तो इतना नहीं होता कि मस्जिद बन पाए . उन्होंने आगे कहा कि कभी-कभार बाहरी राज्यों से मुस्लिम भाइ आये तो उनकी मदद से हमलोगों का मदरसा चल पाता है. मदरसा में 200 बच्चे हैं पढ़ते हैं, इन लोगों को सही खाना, कपड़ा नहीं मिल पाता है. हमलोग सरकार नहीं अल्लाह के भरोसे रहते हैं. गांव में मो. रूस्तम, मो. हारूण, मो. रशीद, मो. तैयव, मो. असलम, मो. रब्बान, आदिल खान इत्यादि का भी कहना है कि वहलोग मजदूरी करते हैं, रमजान आने वाला है, उसके बाद ईद पर्व मनाया जाता है, लेकिन हमें देखने वाला कोई नहीं है. यहां लगभग 200 परिवार बेहद गरीबी का जीवन जीते हैं.
सिलीगुड़ी चेकपोस्ट के पास भी कुछ ऐसे मुस्लिम हैं जो गरीबी की जिंदगी जी रहे हैं. चेकपोस्ट मस्जिद के मोलाना गरीबउद्दीन कहते हैं कि यहां मुसलमानों को सिर्फ चुनाव के समय याद किया जाता है. चुनाव के बाद तो पहचानने से भी इंकार किया जाता है. हम लोगों की गरीबी का फायदा स्थानीय नेता लोग उठाते हैं, जो ठीक नहीं है.
रमजान आने वाला है, लेकिन हमें देखने वाला कोई नहीं है. कइ लोग ऐसे हैं जो सिर्फ पानी पी कर रोजा रखते हैं. मोलाना काजी मोइद्दीन ने आगे कहा कि आजादी के इतने दिन हो गए, राज्य सरकार का अल्पसंख्यक विभाग सिर्फ नाम का विभाग है, जब किसी अल्पसंख्यक का विकास ही नहीं होता तो ऐसे विभाग का क्या काम है. जब एक मस्जिद बनाने, मदरसा बनाने में कोई मदद नहीं मिलती, उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को ठीक से खाना, कपड़ा भी नहीं मिलता है.