बिना विज्ञापन या विज्ञप्ति के आम का टेंडर
मालदा. प्रशासन पर आरोप लगा है कि उसके पास सरकारी विभागों के अधीन आम के पेड़ों का कोई हिसाब-किताब नहीं है. बागवानी विभाग का दावा है कि इस साल ऑफ ईयर होने के बावजूद पेड़ों में काफी आम आये हैं. वहीं पीडब्ल्यूडी विभाग का दावा इससे उलट है. उसका कहना है कि इस साल ज्यादा […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
June 25, 2016 1:23 AM
मालदा. प्रशासन पर आरोप लगा है कि उसके पास सरकारी विभागों के अधीन आम के पेड़ों का कोई हिसाब-किताब नहीं है. बागवानी विभाग का दावा है कि इस साल ऑफ ईयर होने के बावजूद पेड़ों में काफी आम आये हैं. वहीं पीडब्ल्यूडी विभाग का दावा इससे उलट है. उसका कहना है कि इस साल ज्यादा फल नहीं आये हैं. साथ ही मत्स्य विभाग का भी कहना है कि उसके अधीन जो पेड़ हैं उनमें ज्यादा आम नहीं आये हैं. दोनों विभागों ने बहुत कम कीमत पर आम का टेंडर किया है. मालदा के जिला अधिकारी शरद द्विवेदी ने इस पूरे मामले को देखने का आश्वासन दिया है.
गौरतलब है कि मालदा जिले में निजी मालिकाना के अलावा पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीन बड़ी संख्या में आम के पेड़ हैं. इसके अलावा मालदा के सादुल्लापुर इलाके के मत्स्य कार्यालय के अधीन सागरदीघी में आम के बहुत से पेड़ हैं. हर साल इन पेड़ों पर खूब फल लगते हैं. जिसका सरकारी नियम के मुताबिक टेंडर किया जाता है. इस बार इस टेंडर में बड़े पैमाने पर घपले का आरोप लग रहा है. सवाल उठ रहा है कि इन आम के पेड़ों का टेंडर किस तरह और कितने रुपये में किसे दिया गया है. आरोप है कि इस सिलसिले में इस बार कोई विज्ञप्ति जारी नहीं की गयी. इस मामले में बातचीत के लिए मत्स्य विभाग के उप-निदेशक किशोर धारा से बहुत कोशिश के बाद भी संपर्क नहीं किया जा सका. संबंधित विभाग एक अधिकारी ने बताया, सागरदीघी में सौ से अधिक आम के बड़े पेड़ हैं. इनमें से अधिकतर आश्विना प्रजाति के आम हैं. इनका इस्तेमाल अमूमन अचार, जैम, जेली तैयार करने में होता है. सागरदीघी के आम के पेड़ों से हर साल सरकारी खजाने में 40 से 45 हजार रुपये आते हैं.
इधर पीडब्ल्यूडी विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सुव्रत मल्लिक ने बताया, दक्षिण मालदा एवं उत्तर मालदा में हमारे विभाग के अधीन आम के कितने पेड़ हैं, इसकी ठीक-ठीक कोई संख्या हमारे पास नहीं है. तब भी उत्तर मालदा के सामसी व ओल्ड मालदा और दक्षिण मालदा के मानिकचक व महदीपुर में सड़क किनारे आम के काफी पेड़ हैं. इन पेड़ों से इस साल एक लाख रुपये की आमदनी हुई है. वहीं पिछले साल दो लाख रुपये मिले थे.
इस साल ऑफ ईयर होने के नाते ज्यादा आम नहीं हुआ है. पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीन आम के सभी पेड़ों का टेंडर बीते मार्च महीने में कर दिया गया था. ज्यादा खर्च लगने की वजह से हमने विज्ञापन या विज्ञप्ति नहीं निकाले. वहीं बागवानी विभाग के सूत्रों ने बताया, मालदा जिले की करीब 30 हजार हेक्टेयर जमीन पर आम की बागवानी होती है. ओल्ड मालदा, रतुआ, कालियाचक- 1, 2, 3, इंगलिशबाजार, मानिकचक, हरिश्चंद्रपुर और अन्य ब्लॉकों में बड़े पैमाने पर आम का उत्पादन किया जाता है.
जिले का लंगड़ा, लक्ष्मणभोग, हिमसागर, गोपालभोग, किशनभोग, फजली आम प्रसिद्ध है. बागवानी विभाग ने बताया, आम के रकबे में 200 हेक्टेयर की वृद्धि के लिए साल 2015-16 की बारिश में 55 हजार 240 पौधे वितरित किये गये. इसके अलावा विभिन्न ब्लॉकों में किसानों के लिए परामर्श शिविर भी आयोजित किये गये. बागमानी विभाग के जिला उप-निदेशक राहुल चक्रवर्ती ने बताया, पिछला साल ऑन ईयर था और मालदा में तीन लाख 75 हजार टन आम का उत्पादन हुआ था. इस साल ऑफ ईयर है, पर इसके बावजूद तीन लाख मीट्रिक टन से ऊपर आम का उत्पादन होने की उम्मीद है.