भाषा के आधार पर सम्मान मिलना गलत : देवेंद्र नाथ

सिलीगुड़ी: बंग भूषण, उत्तर बंग रत्न आदि जितने सम्मान पश्चिम बंगाल राज्य सरकार की ओर से दिये जा रहें है, उसे देने से पहले सोचना चाहिए कि बंगाल के सांस्कृतिक, सामाजिक आदि विकास में उनका कितना योगदान है. उत्तर बंग रत्न सम्मान जिन छह शख्स को मिला, उसमें किसी ने उत्तर बंगाल के विकास के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 22, 2014 9:01 AM

सिलीगुड़ी: बंग भूषण, उत्तर बंग रत्न आदि जितने सम्मान पश्चिम बंगाल राज्य सरकार की ओर से दिये जा रहें है, उसे देने से पहले सोचना चाहिए कि बंगाल के सांस्कृतिक, सामाजिक आदि विकास में उनका कितना योगदान है. उत्तर बंग रत्न सम्मान जिन छह शख्स को मिला, उसमें किसी ने उत्तर बंगाल के विकास के लिए कुछ किया है, ऐसी मुझे जानकारी नहीं.

आजादी से पूर्व सिलीगुड़ी भागलपुर प्रशासन में था. जो भी हो, भाषायी आधार पर सम्मान नहीं मिलना चाहिए. माइक्रा आरटीस्ट रमेश साह सिलीगुड़ी हीं नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है. लेकिन बंगाल सरकार ने कभी उन्हें सम्मानित नहीं किया. उत्तर बंगाल के निर्माण में शिवमंगल सिंह के अवदान को भुलाया नहीं जा सकता.

लेकिन मुख्यमंत्री ने एक बार भी याद करना मुनासीब नहीं समझा. उत्तर बंग उत्सव में हिंदी भाषियों के लिए कोई कार्यक्रम नहीं है, न ही कोई कलाकार. मुख्यमंत्री भाषायी राजनीति कर रही है. यह कहना है भोजपुरी विकास परिषद, जिला कमेटी के महासचिव मकसूदन सहनी का. सिलीगुड़ी कॉलेज, राजनीति शास्त्र विभाग की डॉ विद्यावती अग्रवाल ने बताया कि उत्तर बंग रत्न सम्मान जिन छह व्यक्तियों को दिया गया, उनमें से मैं केवल मालदा के डॉ प्रद्युत घोष को जानती हूं. बाकी लोगों ने उत्तर बंगाल के विकास के लिए क्या किया, शायद ही उत्तर बंगालवासी जानते हो. नवयुवक वृंद क्लब के राजेश राय ने बताया उत्तर बंगाल के साहित्य, कला, संस्कृति, व्यवसाय आदि में हिंदी भाषियों का भी योगदान है. लेकिन कभी भी उसे सम्मानित नहीं किया गया. बिहारी युवा चेतना समिति के अध्यक्ष मिथलेश मिश्र ने कहा कि पश्चिम बंगाल में हिंदी भाषी बस चुनाव में चंदा देने के लिए है. पहाड़, डुवार्स कहीं के हिंदी भाषियों को न सुरक्षा दिया गया न सम्मान.

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