प्रतिभावान डॉ सुर इन दिनों अंतरिक्ष भौतकी (एस्ट्रो फिजिक्स) से जुड़े कई प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. साथ ही सिलीगुड़ी में सुरेंद्र इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी (एसआइइएम) नामक इंजीनियरिंग कॉलेज के बच्चों में ज्ञान भी बांट रहे हैं. एक विशेष भेंटवार्ता के दौरान डॉ सुर ने बताया कि उन्हें बचपन से खगोलीय ज्ञान अर्जित करने की काफी लालसा रहती थी.
चांद-तारों की कहानियां जहां काफी दिलचस्प लगती थी वहीं, दिन-रात अंतरिक्ष की दुनियां में खोया रहता था. कोलकाता में ही पले-पढ़े डॉ सुर सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद कोलकाता विश्वविद्यालय से मास्टर व पीएचडी की डिग्री हासिल की. अंतरिक्ष से जुड़े एक प्रोजेक्ट ‘सीरियस एंड ए वेरियेबल स्टार’ को लेकर डॉ सुर 2009 में अमेरिका की एक संस्था एसोसिएशन ऑफ वेरियेबल स्टार ऑर्गनाइजेशन के साथ जुड़े.
डॉ सुर उसी वर्ष घाना के एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय, 2012 में यूके के ब्रेडफॉर्ड कॉलेज एवं 2014 में स्वीटजरलैंड के ज्यूरिख विश्वविद्यालय में भी विदेशियों ने उनकी प्रतिभा का लोहा माना और डॉ सुर ने विदेश की सरजमी पर भारत का परचम लहराया. विशेष उपलब्धि के लिए डॉ सुर को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी इसी वर्ष 24 फरवरी को दिल्ली में एक समारोह के दौरान सम्मानित कर चुके हैं. यह समारोह डायरेक्ट्रेट साइंस एंड टेक्नोलॉजी ऑफ इंडिया और कल्टिवेशन ऑफ साइंस कोलकाता एंड नेशनल सेम्पल सर्वे की ओर से आयोजित किया गया था. डॉ सुर आज 58 वर्ष की उम्र में भी खाली समय में अंतरिक्ष की दुनिया में खोए रहते हैं और अंतरिक्ष से जुड़े कई प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं.