गुरूवार से वे उत्तरबंग विश्वविद्यालय के अंतर्गत सूर्यसेन महाविद्यालय में अपना अध्यापक का पदभार ग्रहण करेंगे. यह उनका दूसरा इस्तीफा है. प्राइमरी स्कूल काउंसिल की कुरसी पर वे पहली बार 20 नवंबर 2013 को बैठे थे. उसके बाद 23 जून 2014 को इस्तीफा दिया. फिर उसी वर्ष 16 जुलाई को वापस चेयरमैन का पदभार ग्रहण किया. करीब दो वर्ष तक इस पद पर रहने के बाद उन्होंने फिर से अपना इस्तीफा दे दिया है और दोबार कभी इस पर पर नहीं आने की भी घोषणा की है.
कइ ऐसे सरकारी स्कूल हैं जिनमें नामांकन के लिये विद्यार्थी काफी उत्सुक रहते हैं. फिर भी कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जहां विद्यार्थियों की संख्या नगण्य होती जा रही है. उदाहरण के तौर पर सिलीगुड़ी शिक्षा जिला के अंतर्गत देशबंधु पाड़ा स्थित एक नंबर शिशु विद्यालय की बात की जा सकती है. इस स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या नहीं के बराबर है. इस प्रसंग पर श्री घोष ने बताया कि ऐसे स्कूलों को इंगलिश मिडियम में बलद देना चाहिए. इस विषय में उन्होंने राज्य शिक्षा विभाग को भी पत्र लिखा है. उनका मानना है कि कइ शिक्षक हैं जिन्होंने अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा ली है. उन शिक्षकों को अंग्रेजी में पढ़ाने के लिए तैयार किया जा सकता है.