10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नामोनिशान मिटने की चिंता से घिरी मालदा सीपीएम

कार्यकर्ता, समर्थक व जनप्रतिनिधि जा रहे तृणमूल में सीपीएम कार्यकर्ता पार्टी के संचालन के तरीके से निराश मालदा : धीरे-धीरे करके मालदा से पूरी तरह साफ हो जाने की चिंता से सीपीएम गुजर रही है. गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गंठबंधन के फलस्वरूप जिले की 12 में से 11 सीटों पर गंठबंधन केदखल […]

कार्यकर्ता, समर्थक व जनप्रतिनिधि जा रहे तृणमूल में
सीपीएम कार्यकर्ता पार्टी के संचालन के तरीके से निराश
मालदा : धीरे-धीरे करके मालदा से पूरी तरह साफ हो जाने की चिंता से सीपीएम गुजर रही है. गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गंठबंधन के फलस्वरूप जिले की 12 में से 11 सीटों पर गंठबंधन केदखल से मालदा सीपीएम के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी. लेकिन यही सीपीएम अब गहरी चिंता में है.
इसकी वजह यह है कि एक के बाद एक सीपीएम के पुराने कार्यकर्ता, समर्थक और निर्वाचित जनप्रतिनिधि तृणमूल में शामिल हो रहे हैं. सीपीएम की निचली कतार के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को लग रहा है कि अगर पार्टी सामने से मैदान में आकर मुकाबला नहीं करती है, तो आगामी दिनों में जिले में सीपीएम का अस्तित्व खोजने से भी नहीं मिलेगा.
एक समय मालदा जिले में सीपीएम का बोलबाला था. 1987 के विधानसभा चुनाव में 11 विधानसभा क्षेत्रों में से राज्य के पूर्व शासक दल ने 10 जगहों पर जीत हासिल की थी. यहां तक कि 1991 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता गनीखान चौधरी भी किसी तरह से जीत पाये थे. थाना से लेकर अस्पताल, स्कूल-कॉलेज और खेल के मैदान तक में सीपीएम नेताओं की ही मर्जी चलती थी. लेकिन राज्य की सत्ता से बेदखल होने के बाद मालदा जिले में पुरानी सीपीएम का अब कंकाल भर बचा है. सीपीएम के जो कार्यकर्ता एक समय दबंगई दिखाकर लोगों को मीटिंग व जुलूस में ले जाते थे, वही अब तृणमूल में शामिल हो रहे हैं.
कभी सीपीएम के प्रभावशाली नेता रहे जयंत दास काफी पहले ही तृणमूल में शामिल हो चुके हैं. उनकी पत्नी रुनु दास अभी इंगलिश बाजार नगरपालिका के 19 नंबर वार्ड की तृणमूल पार्षद हैं. इसी तरह गाजोल के दिग्गज सीपीएम नेता प्रभात पोद्दार अब तृणमूल परिचालित पंचायत समिति के सभापति हैं. इसी विधानसभा क्षेत्र से सीपीएम के टिकट पर निर्वाचित हुई विधायक दिपाली विश्वास और उनके पति तथा गाजोल लोकल कमेटी के सचिव रंजीत विश्वास भी तृणमूल में शामिल हो चुके हैं.
हरिश्चन्द्रपुर के फारवर्ड ब्लॉक के पूर्व विधायक ताजमुल हुसेन विधानसभा चुनाव से पहले ही पार्टी नेतृत्व को गच्चा देकर तृणमूल में चले गये थे. इसके अलावा मालदा जिले की 146 ग्राम पंचायतों में से कम से कम 50 ग्राम पंचायतों में सीपीएम के निर्वाचित सदस्यों ने तृणमूल का दामन थाम लिया. जिसकी वजह से इन ग्राम पंचायतों में तृणमूल सत्ता में आ गयी. अब मालदा जिला परिषद से भी सीपीएम के निश्चिह्न होने के आसार दिख रहे हैं.
साल 2013 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला परिषद में वाम मोरचा के 16 सदस्य निर्वाचित हुए थे. चुनाव के बाद ही सोशलिस्ट पार्टी के दो सदस्यों ने सीपीएम को झटका देकर जिला परिषद के बोर्ड गठन में कांग्रेस की सहायता की. वाम खेमे में अभी 14 सदस्य थे. जिसमें से करीब आधे दो दिन पहले ही तृणमूल में शामिल होने का आवेदन देकर कोलकाता चले गये हैं. इससे जिला परिषद में सीपीएम और कमजोर हो जायेगी. सीपीएम कार्यकर्ताओं और समर्थकों का मानना है कि जिले के सीपीएम नेता जिस तरह से पार्टी ऑफिस मिहिरदास भवन में बैठ कर पार्टी चला रहे हैं, उससे तृणमूल का काम और आसान हो जा रहा है. दुख-विपत्ति में पार्टी नेताओं का साथ नहीं मिलने पर कार्यकर्ताओं का झुकाव तृणमूल की ओर बढ़ रहा है.
इस बारे में पूछे जाने पर सीपीएम की जिला सचिव मंडली के सदस्य देवज्योति सिन्हा ने कहा कि जो लोग पार्टी छोड़ रहे हैं, वे तृणमूल द्वारा दिखाये गये भय या लोभ के शिकार हैं. तृणमूल जिस रास्ते पर चल रही है, आनेवाले दिनों में वह किसी पिरामिड की तरह धंस जायेगी. वहीं इस पर जवाब देते हुए तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष मोअज्जम हुसेन ने कहा कि हम किसी को जोर-जबरदस्ती पार्टी में नहीं ला रहे हैं. लोग ममता बनर्जी के विकास कार्यों और तृणमूल के लोकतांत्रिक माहौल को देखकर दूसरे दलों से तृणमूल में आ रहे हैं. आने वाले दिनों में सीपीएम एक जीवाश्म बन कर रह जायेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें