सिलीगुड़ी: विश्व भर में नेताजी के जीवन व मृत्यु को लेकर लोग उलझन में हैं. आखिर नेताजी का क्या हुआ? राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी शुरुआती दौर में इस मामले को देख रहे थे, लेकिन इसके बाद अब तक नेताजी की पहचान नहीं हुई है. अनुकल ठाकुर के एक भक्त समीर साहा (बोरो दा) के पास नेताजी के होने के अनेक दस्तावेज हैं.
टोकियो रेडियो के अनुसार, (23 अगस्त, 1945) सैगोन में नेताजी एक बड़े बम वर्षक विमान से आ रहे थे और 18 अगस्त को ताइहोकू हवाई अड्डे के पास उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. सितंबर के मध्य उनकी अस्थियां संचित कर के जापान की राजधानी टोकियो के रैंकोजी मंदिर में रख दी गयी.
भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार के से प्राप्त दस्तावेज के अनुसार, नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त, 1945 को ताइहोकू के सैनिक अस्पताल में रात्रि नौ बजे हुई थी. 18 अगस्त, 1945 से नेताजी को लापता घोषित कर दिया गया. उनका क्या हुआ, इसके लिए भारतीय इतिहास निरूत्तर है.
देश के अलग-अलग हिस्सों में कई संगठन आज भी नेताजी को देखने और मिलने का दावा कर रहे हैं. फैजाबाद के ‘गुमनामी बाबा’ से लेकर छत्तीसगढ़ राज्य में भी नेताजी के होने को लेकर कई दावे पेश किये गये, लेकिन इस सभी की प्रमाणिकता संदिग्ध है! छत्तीसगढ़ में सुभाष चंद्र बोस के होने से संबंधी एक मामली की फाइल को राज्य सरकार ने बंद कर दिया.
समीर साहा का दावा है कि नेताजी इस समय विभिन्न स्थानों पर वेश बदल कर घूम रहे हैं. सिलीगुड़ी में भी वे आ चुके हैं. इनके नाम से एक स्कूल भी सिलीगुड़ी में चल रहा है. इस स्कूल को मृत्युंजय उपाध्याय चलाते हैं. इस स्कूल में हरिजन बच्चों को पढ़ाया जाता है. इस स्कूल के कारण काफी विकास भी हुआ है. मनीषा हेला, बिजू हेला जैसे अनेक छात्र माध्यमिक परीक्षा पास कर चुके हैं. वे कहते हैं कि नेताजी सिलीगुड़ी में प्रवचन कर्ता के रूप में आये थे. यहां पर दो-तीन महीना पूर्व ही नेताजी का आगमन हुआ था. उनका दावा है कि वही नेताजी थे.