सिलीगुड़ी : वनबस्ती के लोगों ने वन विभाग के खिलाफ खोला मोरचा

सरकारी धन की हेराफेरी का लगाया आरोप जांच की मांग, बड़े आंदोलन की धमकी सिलीगुड़ी. केन्द्र सरकार से वनबस्ती इलाकों में विकास के लिए मिले धन की हेराफेरी का आरोप लगाते हुए वन बस्ती के लोगों ने वन विभाग के खिलाफ आंदोलन की धमकी दी है. इन लोगों ने वन विभाग के कालिम्पोंग डिवीजन के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 9, 2016 7:56 AM
सरकारी धन की हेराफेरी का लगाया आरोप
जांच की मांग, बड़े आंदोलन की धमकी
सिलीगुड़ी. केन्द्र सरकार से वनबस्ती इलाकों में विकास के लिए मिले धन की हेराफेरी का आरोप लगाते हुए वन बस्ती के लोगों ने वन विभाग के खिलाफ आंदोलन की धमकी दी है.
इन लोगों ने वन विभाग के कालिम्पोंग डिवीजन के डिवीजनल मैनेजर पर सरकारी धन की हेराफेरी का भी आरोप लगाया है. सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान हिमालयन फॉरेस्ट विलेजर्स आर्गनाइजेशन के कन्वेनर बबित गुरूंग ने यह आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि इस मद में चार करोड़ 33 लाख रुपये की हेराफेरी की गई है.
श्री गुरूंग ने कहा कि केन्द्र सरकार के अनुसूचित जनजाति मामलों के मंत्रालय द्वारा ट्राइवल सब-प्लान योजना के तहत वनबस्ती इलाकों में विकास के लिए धन दिये जाते हैं. इस पैसे से सड़कें बनायी जाती हैं. इसके अलावा शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए इस धनराशि को खर्च करने का प्रावधान है. धन का आवंटन महकमा आधार पर होता है.
दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के तीनों सब-डिवीजन में इस योजना के तहत धन दिये गये. अन्य महकमा में जहां विकास कार्यों के लिए पैसे को खर्च किया गया, वहीं दूसरी ओर कालिम्पोंग महकमा में विकास का कोई काम नहीं हुआ. केन्द्र से मिली धनराशि के उपयोग के लिए वह सभी सात-आठ वर्षों से चक्कर काट रहे हैं, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ है. उन्होंने आगे बताया कि वर्ष 2008-09 के दौरान कालिम्पोंग सब-डिवीजन में विकास करने के लिए फॉरेस्ट डेवलपमेंट एजेंसी को चार करोड़ 35 लाख रुपये दिये गये.
जबकि काम कुछ भी नहीं हुआ है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि यह पैसे आखिर कहां गये. उन्होंने पैसे के हिसाब के लिए आरटीआइ के तहत विभाग से जानकारी भी मांगी थी, जो उन्हें नहीं दी गई. श्री गुरूंग ने इस पूरे मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. ऐसा नहीं होने पर उन्होंने वृहद आंदोलन की धमकी दी है.

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