बोले गुरूंग: गोरखालैंड आंदोलन शुरू, 28 को पहाड़ बंद !

दार्जिलिंग : गोरखा जन मुक्ति मोरचा (गोजमुमो) और गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के प्रमुख विमल गुरूंग ने शुक्रवार को मीडिया के सामने एलान किया कि गोरखालैंड आंदोलन शुरू हो चुका है, इसलिए पर्यटक सोच-समझ कर पहाड़ पर आयें. आंदोलन की वजह से पर्यटकों को परेशानी हो सकती है. उन्होंने मुख्यमंत्री पर गलतबयानी का आरोप लगाते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 24, 2016 12:54 AM
दार्जिलिंग : गोरखा जन मुक्ति मोरचा (गोजमुमो) और गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के प्रमुख विमल गुरूंग ने शुक्रवार को मीडिया के सामने एलान किया कि गोरखालैंड आंदोलन शुरू हो चुका है, इसलिए पर्यटक सोच-समझ कर पहाड़ पर आयें. आंदोलन की वजह से पर्यटकों को परेशानी हो सकती है.

उन्होंने मुख्यमंत्री पर गलतबयानी का आरोप लगाते हुए 28 सितंबर को पहाड़ बंद की चेतावनी भी दी. कालिम्पोंग में एक कार्यक्रम के दौरान गुरुवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) को चार साल के अंतराल में चार हजार करोड़ रुपये देने की बात कही थी. यह भी कहा था कि इतने पैसे देने के बावजूद जीटीए ने पहाड़ पर कोई विकास का काम नहीं किया है. इस पर जीटीए चीफ विमल गुरूंग ने नाराजगी जताते हुए शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री को 27 सितंबर तक यह प्रमाणित करना होगा कि राज्य सरकार ने इतने पैसे कब दिये, अन्यथा 28 सितंबर को पहाड़ बंद किया जायेगा.

स्थानीय गोरखा रंगमंच भवन में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए श्री गुरूंग ने कहा कि राज्य सरकार गोरखालैंड की मांग दबाने के लिए गोरखा समुदाय की विभिन्न जातियों के बोर्डों का गठन कर उन्हें विभाजित करने का प्रयास कर रही है. लेकिन राज्य सरकार चाहे जितनी कोशिश कर ले, गोरखालैंड का मुद्दा दबने वाला नहीं है.

इसी संदर्भ में मोरचा के केन्द्रीय महासचिव रोशन गिरि ने भी मुख्यमंत्री के बयान की घोर निंदा करते हुए कहा है कि चार साल के अन्तराल में राज्य सरकार ने जीटीए सभा को केवल 238 करोड़ 10 लाख 20 हजार रुपये ही दिये हैं. 2012 से 2013 में 55 करोड़, 2013 और 2014 में 72 करोड़ 10 लाख 20 हजार, 2014 और 2015 में 45 करोड़ 40 लाख, 2015 और 2016 में 42 करोड़ 90 लाख रुपये दिया है. 2015 और 2016 के लिये जीटीए ने 130 करोड़ रुपये का बजट बनाकर राज्य सरकार को भेजा था. इसी तरह से 2016 और 2017 के लिये 132 करोड़ का बजट बनाकर भेज चुका है, परन्तु अभी तक एक पैसा भी नहीं मिला है.

श्री गिरि ने कहा कि राज्य सरकार जीटीए समझौते का उल्लंघन कर रही है. जीटीए क्षेत्र के विभिन्न कार्यालयों में करीब चार हजार पद रिक्त पड़े हुए हैं. स्कूल सर्विस कमीशन, कॉलेज सर्विस कमीशन न होने के कारण स्कूल और कॉलेजों में भी बहुत से पद खाली पड़े हुए हैं.

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