मेड इन चायना बेजार-कुम्हार टोली गुलजार

सिलीगुड़ी. इस साल चीन निर्मित वस्तुओं के बहिष्कार का खुमार ऐसा देशवासियों पर चढ़ा है कि दीपावली में कुम्हारों की बल्ले-बल्ले होना तय है. कुम्हार मिट्टी के दीए सहित घर के सजावट के लिये विभिन्न प्रकार की वस्तुएं तैयार कर रहे हैं. चाइनिज वस्तुओं को मात देने के लिये कुम्हारों की कलाकारी भी बाजारों में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 23, 2016 1:23 AM
सिलीगुड़ी. इस साल चीन निर्मित वस्तुओं के बहिष्कार का खुमार ऐसा देशवासियों पर चढ़ा है कि दीपावली में कुम्हारों की बल्ले-बल्ले होना तय है. कुम्हार मिट्टी के दीए सहित घर के सजावट के लिये विभिन्न प्रकार की वस्तुएं तैयार कर रहे हैं. चाइनिज वस्तुओं को मात देने के लिये कुम्हारों की कलाकारी भी बाजारों में नजर आ रही है. केवल कुम्हारों की नहीं बल्कि इस बार बिजली के सामान बेचने वाले दुकानदार भी मोटा मुनाफा कमाने की आस लगाये बैठे हैं. मेड इन चाइना से इतनी नफरत है कि सिलीगुड़ी के लोग कम कीमत पर भी चाइनीज सामान, बल्ब, टूनी लाइट या अन्य सजावटी सामान खरीदने को तैयार नहीं है.
पिछले कइ वर्षों से पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर सीजफायर का उल्लंघन करता आ रहा है.इसके अलावा पाकिस्तानी आतंकवादी भी कहर ढाह रहे हैं. कुछ दिनों पहले ही कश्मीर के उड़ी में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने ऐसा सितम ढ़ाहा कि भारत के कुल 20 जवान शहीद हो गये. हालांकि पाकिस्तान के खिलाफ भारतवासियों के मन में पहले से ही आक्रोश है लेकिन इस घटना ने पूरे देश लोगों में
इतना उबाल पैदा कर दिया कि लोग पाकिस्तान के खिलाफ सड़कों पर उतर आये. पूरा देश पाकिस्तान को करारा जवाब देने तथा उसे दुनियां में अलग-थलग करने के लिए एकजुट है. विश्व के अधिकांश देश भारत के साथ हैं. ऐसे में चीन है जो पाकिसतान का साथ पहीं छोड़ना चाहता. चीन अभी भी पाकिस्तान के साथ खड़ा है. उसके बाद से ही शहीदों को नमन करने के लिए मेड इन चायना सामानों के वहिष्कार की मुहिम देश में चल रही है. यहां बता दें कि चीन में उत्पादित वस्तुओं का सबसे अच्छा बाजार भारत ही माना जाता है. प्लास्टिक, धातु, इलेक्ट्रॉनिक, घरेलु उपयोग आदि सामानों की भारतीय बाजार में काफी खपत है. सबसे अधिक मांग इलेक्ट्रॉनिक सामानों की है. बिजली के बल्ब, घर सजवाट के लिये टूनी लाइट, मोबाइल व अन्य चाइनीज उपकरणों की मांग भारत में काफी अधिक है. भारत के कइ राज्यों में चाइनिज सामानों का अलग-अलग मार्केट भी हैं. हांलाकि मेड इन चाइना के वहिष्कार की मुहिम से इन बाजारों में पहले जैसी रौनक नहीं है. आमलोगों का स्वदेशी की ओर रूख करने से इस बार दीपावली में मिट्टी के सामान बनाने वाले कुम्हार काफी खुश हैं. चाइनीज सामानों के बहिष्कार का प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया पर जोर-शोर से जारी है. आलम यह है कि चाइनिज सामानों के वहिष्कार का किसी ने विरोध किया तो सोशल मीडिया पर उसकी भद पिटनी तय है. उस पर गालियों की बौछार होती है.
क्या रुख है सिलीगुड़ी के ग्राहकों का: प्रत्येक वर्ष की तरह दीपावली को लेकर इस बार भी सिलीगुड़ी का बाजार गुलजार दिख रहा है. मिट्टी के दीए व घर सजावट के लिये अन्य सामानों से बाजार सज चुका है. बिजली सामानों की दुकानें भी विभिन्न तरह के लइटों से सजी नजर आ रही है. हालांकि टूनी लाइट का क्रेज इस बार भी लोगों में है. लेकिन जेब कटने के भय से नागरिक घर सजाने के लिये बिजली के बल्ब व टूनी लाइटों का व्यवहार कम करने का मन बना चुके हैं. बाजार में मिट्टी के दीए व अन्य सजावटी सामान की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ देखी जा रही है. चंपासारी बाजार से दीपावली की खरीददारी करते नवलेश गुप्ता ने चाइनीज टूनी लाइट नहीं खरीदी. उनसे बात करने पर उन्होंने बताया कि पाकिस्तान जिस तरह आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है वह पूरे विश्व के लिये घातक है.

जबकि चीन पाकिस्तान को बढ़ावा दे रहा है. इस वजह से हम लोगों ने चाइनीज सामानों के बहिष्कार करने का मन बना लिया है. प्रभात खबर के पत्रकार से बात करते देखकर खरीददारी करते कइ अन्य ग्राहकों ने भी चाइनीज सामानों का बहिष्कार करने की बात कही. सभी ने कहा कि इस बार किसी भी कीमत पर चाइनीज लाइट और अन्य सामानों को हम किसी भी कीमत में स्वीकार नहीं करेगें. श्री गुप्ता ने बताया कि चाइनीज कम खर्च में घर सजाने का एक अच्छा सामान है लेकिन देश का मान इससे बड़ा है. चाइनीज माल का वहिष्कार कर हमलोग उड़ी में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. बिजली का सामान बेचने वाले एक -दो दुकानदार से बात करने पर पता चला कि इस बार चाइनीज टूनी लाइट की बिक्री काफी कम है. चाइनीज सामानों के बहिष्कार की हवा सोशल मीडिया पर तेज देखकर इस बार दुकानदारों ने भी भारतीय लाइट अधिक मंगाए हैं. भारतीय टूनी लाइट की कीमत चाइनीज लाइट से तीन गुणा अधिक है. फिर भी ग्राहक भारतीय टूनी लाइट पर ही अधिक जोर दे रहे हैं. हालांकि इसकी बिक्री कम है.

सिलीगुड़ी के कुम्हारों का चेहरा हुआ गुलाबी
वैसे तो सिलीगुड़ी महकमा में कइ स्थानों पर मिट्टी के सामान व मूर्तियां तैयार की जाती है. लेकिन सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर चार महानंदा नदी के किनारे बसे कुम्हार टोली और सिलीगुड़ी महकमा के माटिगाड़ा ग्राम पंचायत के अधीन बलासन नदी के किनारे बसा पालपाड़ा प्राचीन और विख्यात है. यह दोनों स्थानों पर मिट्टी के सामान व मुर्तियां बनाने वाले कुम्हार बड़े पैमाने पर रहते हैं. चाइनीज आयटमो के वहिष्कार की हवा तेज देखकर यहां के कुम्हारों का चेहरा गुलाबी हो गया है.

स्थानीय कुम्हार बड़ी ही खुशी के साथ मिट्टी के दीए व सजावट के अन्य सामान तैयार कर रहे हैं. पालपाड़ा के कुम्हार विश्वजीत पाल ने बताया कि सोशल मीडिया पर चाइनीज सामानों के बहिष्कार का शोर चहुं ओर है. यह लहर देखकर हम कुम्हार काफी खुश है. चाइनिज बल्ब और टूनी लाइट ने दीपावली में मिट्टी के दीए जलाने की परंपरा को एक तरह से खत्म कर दिया था. लोग मिट्टी के दीए कम टूनी लाइट अधिक खरीदने लगे थे. पिछले कुछ वर्षों से प्रत्येक दीपावली में कुम्हारों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता था. यहां तक कि लोग कम कीमत पर भी मिट्टी के दीए खरीदने को तैयार नहीं होते थे. लेकिन इस बार मिट्टी के दीए व अन्य सामानों की मांग बढ़ी है. दीपावली को सामने देखकर लोग मिट्टी के दीए खरीदना शुरू कर चुके हैं. श्री पाल ने बताया कि दीए छोड़ कर घर सजाने के अन्य मिट्टी के सामानों की मांग भी इस बार काफी बढ़ी है. पहले इन सामानों की बिक्री ना के बराबर थी. उन्होंने बताया कि इस वर्ष प्रत्येक कुम्हार बड़े पैमाने पर मिट्टी के दीए तैयार कर चुके है. जबिक पिछले वर्ष यहां के एक कुम्हार ने सबसे अधिक दस हजार दीए तैयार किये थे. इसके अतिरिक्त फ्लावर पॉट, घंटी, रंग-बिरंगी विंड चाइम आदि भी तैयार किये गये हैं. यहां के बने दीए की मांग पहाड़ पर भी है. इस बार पहाड़ी ग्राहक भी पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक दीए खरीद कर ले जा रहे हैं.

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