न जाओ ब्रिगेड रैली में, खाओ चिकेन-पनीर दम भर

आसनसोल : संसदीय चुनाव को केंद्र कर ब्रिगेड में वाममोर्चा समर्थकों को जाने से रोकने के लिए आसनसोल नगर निगम प्रशासन ने रविवार को ही घाघर बुड़ी मंदिर परिसर में निगम कर्मियों के लिए पिकनिक का आयोजन किया. दो हजार स्थायी व अस्थायी कर्मियों के शामिल होने की सूचना है. ऐसा पहली बार हुआ है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2014 1:23 AM

आसनसोल : संसदीय चुनाव को केंद्र कर ब्रिगेड में वाममोर्चा समर्थकों को जाने से रोकने के लिए आसनसोल नगर निगम प्रशासन ने रविवार को ही घाघर बुड़ी मंदिर परिसर में निगम कर्मियों के लिए पिकनिक का आयोजन किया. दो हजार स्थायी व अस्थायी कर्मियों के शामिल होने की सूचना है. ऐसा पहली बार हुआ है.

निगम सूत्रों ने बताया कि ब्रिगेड में जाने से रोकने के लिए तृणमूल नेताओं ने यह रणनीति अपनायी. निगम से जुड़े सभी स्थायी व अस्थायी कर्मियों व अधिकारियों को सूचित किया गया कि निगम प्रशासन की ओर से रविवार को घाघरबुड़ी मंदिर परिसर में सामूहिक पिकनिक होगा. जो कर्मी या अधिकारी इसमें शामिल नहीं होंगे, उन्हें अगले वर्ष की पिकनिक में शामिल नहीं किया जायेगा. एक पदाधिकारी ने कहा कि निगम बोर्ड का अंतिम वर्ष होने के कारण यह आयोजन हुआ है. इस पिकनिक में तीन क्विंटल से अधिक चिकेन का उपयोग किया गया. वेज व ननवेज दोनों की व्यवस्था थी. मेयर तापस बनर्जी व निगम चेयरमैन जितेंद्र तिवारी इसमें शामिल हुए. केटेरर ने बिल जमा नहीं किया है.

दो दिन बाद बिल जमा होगा. आकलन है कि डेढ़ लाख रुपये तक यह राशि जा सकती है. सूत्रों ने बताया कि पार्टी स्तर से विभिन्न ट्रांसपोर्टरों को निर्देश दिया गया था कि वे अपने वाहनों यथा- बस, ट्रक तथा छोटे मालवाहक के चालकों व सहचालकों को पिकनिक पर भेज दें. इसकी राशि भी दे, इसका समायोजन विभिन्न तरीके से होगा. मकसद था कि चालक पिकनिक पर रहेंगे तो कोलकाता जाने के लिए वाममोर्चा को वाहन नहीं मिल सकेंगे. आसनसोल व दुर्गापुर में कई स्थानों पर पिकनिक आयोजित हुए. वाममोर्चा नेता मन मसोस कर रह गये.

इधर ब्रिगेड में शामिल होने गये कई वामपंथी कर्मी अपने साथ बड़ी संख्या में रोटी व सब्जी लेकर गये. वर्ष 1960 से वामो की हर ब्रिगेड रैली में शामिल हो रहे माकपा कर्मी अरुप राय ने कहा कि वर्ष 1977 से पहले हर रैली में कर्मी अधिक से अधिक रोटी व सब्जी अपने व अन्य साथियों के लिए लेकर जाते थे. कोलकत्ता नगर निगम पेयजल की व्यवस्था करता था. सत्ता के आने के बाद ट्रेंड बदल गया. कोई न कोई इन खर्चो को उठाने लगा. इसके बाद तो बिरयानी, मिठाई आम बात हो गयी. लेकिन इस बार स्थिति विपरीत है. पाटई के स्तर से अधिक से अधिक रोटी ले जाने का निर्देश था.

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