मासूम छात्राओं का भिक्षाटन करना पेशा नहीं मजबूरी

सिलीगुड़ी. दीपावली और छठ पूजा के लिए कर रही भिक्षाटन सिलीगुड़ी : भारत एक ऐसा देश है जहां नारी देवी के रूप में पूजी जाती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नारियों को स्वनिर्भर बनाने के लिए बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओं जैसे कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरूआत कर नारी सशक्तिकरण का नारा देते नहीं थकते. प्रधानमंत्री […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 29, 2016 12:34 AM
सिलीगुड़ी. दीपावली और छठ पूजा के लिए कर रही भिक्षाटन
सिलीगुड़ी : भारत एक ऐसा देश है जहां नारी देवी के रूप में पूजी जाती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नारियों को स्वनिर्भर बनाने के लिए बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओं जैसे कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरूआत कर नारी सशक्तिकरण का नारा देते नहीं थकते. प्रधानमंत्री की महिलाओं के प्रति ऐसी संवेदना सिलीगुड़ी की कुछ ऐसी मासूम लड़कियों को देखकर बेमानी लगती है जो पढ़ायी तो करती हैं लेकिन पापी पेट के लिए दर-दर घूमकर भिक्षाटन करने को भी मजबूर हैं.
खालपाड़ा के गांधी मैदान स्थित गांधी मेमोरियल प्राइमरी स्कूल की छात्राएं भूमिका, सुनिता, पुनिता का घर शहर के ह्रदयस्थल 28 नंबर वार्ड के टिकियापाड़ा में स्थित है. इन सभी की पारिवारिक स्थिति ऐसी है कि बड़ी मुश्किल से ही दो जून की रोटी नसीब हो पाती है.ऐसे में पर्व-त्योहार भव्य तरीके से मनाना इनके लिए काफी चुनौती भरा है.
अपने आस-पास के लोगों को और उनके बच्चों को पर्व-त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाते देख बस्ती इलाके के ये बच्चे भी उनकी तरह पर्व-त्योहार मनाने के लिए अपने गरीब माता-पिता पर दबाव मनाते हैं. लेकिन आर्थिक कमजोरी के वजह से ऐसे अभिभावक अपने बच्चों के उत्साह को दबाने के लिए मजबूर होते है. गरीबी की जिद के आगे अभिभावक या फिर बच्चे भी सड़कों पर भिक्षाटन करते जहां-तहां दिखायी देते हैं. पर्व-त्योहार मनाने के लिए दिन भर भिक्षाटन करने को मजबूर, बेबस और लाचार हैं. गरीबी के मारे ऐसे बच्चे और उनके अभिभावक. शहर के एयरव्यू मोड़ के पास भिक्षाटन कर रही छात्राएं भूमिका, सुनिता, पुनिता ने प्रभात खबर की प्रतिनिधि को बताया कि सुबह से लेकर सूर्य ढलने तक देर शाम को ही घर लौट पाती हैं. इस बीच जो रकम संग्रह होता है वह पर्व-त्योहार मनाने के लिए जमा करते हैं.
मासूम बच्ची भूमिका ने बताया कि अभी दीपावली और छठ पूजा त्योहार सामने है. हम कई रोज पहले से ही भिक्षाटन कर रहे हैं. जो रकम जमा हो रही है उससे नये कपड़े और पटाखे खरीदेंगे और माता-पिता को भी मिठाई बनाने व पूजा करने के लिए देंगे. यहां उल्लेखनीय बात यह है कि जब ये मासूम बच्चियां सुबह से देर शाम तक भिक्षाटन कर शहर का खाक छानती हैं उस दौरान इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं होता. इस दौरान इन बच्चियों को खाने-पीने को पूछनेवाला भी कोई नहीं होता.
शहर से गायब हो रही हैं बच्चियां और लड़कियां: भिक्षाटन कर रही मासूम बच्चियों का इस दौरान शहर में यूं बगैर अभिभावकों के साथ दर-दर घूमना काफी जोखिम भरा है. इन दिनों बच्चियों और लड़कियों का शहर से गायब होने का सिलसिला जारी है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इन दिनों केवल सिलीगुड़ी ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर बंगाल में नारी तस्कर गिरोह व लक्कड़ सूंघा गिरोह सक्रिय हो उठा है जो टियूशन पढ़ने वाली छात्राओं और अकेले दर-दर घूमनेवाली मासूम लड़कियों व बच्चियों का अगवा कर रहे हैं. एक के बाद एक कई मामले सामने आने के बावजूद प्रशासन खामोश है.
छोटी सी लापरवाही, बदरंग कर देगी मासूमों को जिंदगी
लोगों का कहना है कि ऐसे दर-दर भटकते मासूमों को देखकर काफी दया लगती है. इन दिनों शहर में जिस तरह बच्चियों और लड़कियों के गायब होने की वारदाते सामने आ रही है यह काफी सोचनीय है.
छोटी सी लापरवाही इन मासूमों की जिंदगी बदरंग कर देगी. ऐसे कई वारदातों के बाद यह खुलासा हुआ है कि जो गिरोह लड़कियों या फिर बच्चियों को अगवा करते हैं उन लड़कियों को या तो रेड लाइट एरिया में बेच कर जिस्मफराशी के धंधों में धकेल देते हैं या फिर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, पुणे जैसे मेट्रो सिटी में घरों के काम-काज के लिए किसी रइसजोदों के यहां बिक्री कर देते हैं. यहलोग इन मासूमों को चाय की गुमटियों, होटलों, रेस्तरांओं में छोटी सी उम्र में ही काम करने को मजबूर कर देते हैं.
अभिभावकों को जागरूक करने की जरूरतः मिथिलेश मिश्रा
समाजसेवियों और स्वंयसेवी संगठनों का कहना है कि ऐसे मासूम बच्चों से भिक्षाटन कराने को लेकर अभिभावकों को खुद जागरूक होने की जरूरत है. एक समाजसेवी व बिहारी युवा चेतना समिति के उत्तर बंगाल के इकाई के अध्यक्ष मिथिलेश मिश्रा ने कहा कि ऐसे मासूम बच्चों से भिक्षाटन न कराने के लिए अभिभावकों को लेकर शासन-प्रशासन की ओर से जनजागरूकता कार्यक्रम चलाना चाहिए. अभिभावकों को बच्चों को समय पर स्कूल भेजना चाहिए न की सुबह उठते ही नन्हें हाथों में सूप थमाकर भिक्षाटन कराने के लिए उकसाना चाहिए.
श्री मिश्रा का कहना है कि शहर की खाक छानते ऐसे मासूमों को देखकर हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. उनका कहना है कि आज देश में न जाने ऐसी कितनी अनगिनत नाबालिi लड़कियां हैं जो अपनी अज्ञानता व मंदबुद्धि के वजह से तस्करी का शिकार होकर आत्मसम्मान व स्वाभिमानी जिंदगी जीने का आशा ही छोड़ चुकी हैं.

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