सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी में दीपावली धूम-धड़ाकों के साथ मनी. प्रतिबंधित आवाज वाले पटाखों का शहरवासियों ने जमकर इस्तेमाल किया. आकाश में भी खूब आतिशबाजी हुई. काले और जहरीले धुंए का गुबार हर ओर छाया रहा. शहरवासियों ने शासन-प्रशासन की चेतावनी की जमकर धज्जियां उड़ायीं. यहां उल्लेखनीय बात यह है कि सिलीगुड़ी शहर में कुछ वर्षों से दीपावली मनानेवाले प्रदूषण रहित त्योहार मनाने का दावा करते हैं और आवाजवाले पटाखे व आतिशबाजियों का इस्तेमाल न करने की कसम खा कर मीडिया की सुर्खियां भी बंटोरते हैं. लेकिन बाद में ढाक के तीन पात वाली कहावत ही चरितार्थ होती है.
उत्तर बंगाल में की सबसे बड़ी गल्ला मंडी नयाबाजार में बीते कई वर्षों से कारोबारी प्रदूषण रहित दीपावली मनाने की बात करते आ रहे हैं. कारोबारी अपने दुकान-प्रतिष्ठान और सड़कों की सजावट भी पर्यावरण को ध्यान में रखकर करते हैं. पूरी मंडी को दुल्हन की तरह सुसज्जित कर दिया जाता है. मंडी में दीपावली की छटा दूसरे इलाकों के लोग भी देखने आते हैं.
शाम से लेकर रात 11-12 बजे तक मंडी में गहमा-गहमी रहती है. लेकिन जहां भीड़ में कमी आयी, उसके बाद तो पूरा नयाबाजार धूम-धड़ाकों से गूंज उठता है. कानफोड़ू आवाज वाले पटाखों से पूरा शहर दहल उठता है. ऐसा लगता है मानो आवाजवाले पटाखे फोड़ने के लिए लोगों के बीच प्रतिस्पर्धा लगी हो. इसका खमियाजा रविवार रात को नयाबाजार में रहनेवाले एक कारोबारी युवक को उठाना पड़ा. धीरज कुमार ने बताया कि आस-पास कहीं से छोड़ा गया एक पटाखा उनके मकान की छत पर आकर गिरा और फट गया. आवाज इतनी जोरदार थी कि मकान में कंपन हो उठा. कांच की खिड़कियां चटक गयीं. सभी दहल उठे. इतना ही नहीं धीरज के अधेड़ व बीमार पिता को हार्ट अटैक आ गया और रात में ही उन्हें नर्सिंग होम में भरती कराना पड़ा.