सिलीगुड़ी. केंद्र सरकार द्वारा पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट पर रोक लगाने का सबसे अधिक खमियाजा वेस्ट बंगाल स्टेट को-ओपरेटिव एग्रिकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट बैंक लिमिटेड के ग्राहकों को भुगतना पड़ रहा है. बाजार में जब तक पर्याप्त नकदी नहीं आ जाती, तब तक को-ऑपरेटिव बैंक के सदस्यों को समस्या का सामना करना होगा.
गुरुवार से देश के सभी बैंको में पुराने नोट बदलने और उन्हें जमा करने का काम शुरू हुआ, लेकिन स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक में काम ठप दिखा. को-ऑपरेटिव बैंक के कोलकाता मुख्यालय ने 70 हजार रुपये तक राशि जमा लेने व अधिकतम एक हजार रुपये की निकासी पर सहमति जतायी है, लेकिन यह आदेश अभी सब जगह लागू नहीं हो पाया है. इसे लेकर गुरुवार को सिलीगुड़ी के हाकिमपाड़ा स्थित को-ऑपरेटिव बैंक की दार्जिलिंग जिला मुख्य शाखा में ग्राहकों ने जमकर हंगामा मचाया.
उल्लेखनीय है कि गत आठ नवंबर की रात देश के प्रधानमंत्री ने पांच सौ और एक हजार के नोट पर रोक का एलान किया. इसके बाद केंद्र सरकार के निर्देशानुसार सभी बैंकों ने गुरुवार की सुबह से पुराने नोटों को बदलने, नकद जमा व निकासी की प्रक्रिया शुरू की. लेकिन स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक में यह प्रक्रिया शुरू नहीं हुई. गुरुवार की सुबह बैंक तो समय से खुल गया, लेकिन किसी भी प्रकार का कोई काम नहीं हो रहा था. रुपये को लेकर दो दिन से परेशान ग्राहक बैंक पहुंचने लगे. बैंक के मुख्य प्रवेश द्वार से लेकर बैंक के भीतर कई स्थानों पर ‘नो एक्सचेंज/ऐक्सेप्टेंस ओल्ड नोट ऑफ 500 एंड 1000’ का नोटिस लगा पाया गया.
इस नोटिस को देखकर इस बैंक के सदस्यों का पारा चढ़ गया. नोट की समस्या को लेकर परेशान ग्राहकों ने प्रबंधक को घेरकर हंगामा शुरू किया. ग्राहकों की मांग थी कि अन्य बैंको की तरह यहां भी नोट की अदला-बदली, नकद जमा और निकासी की सुविधा मुहैया करानी होगा. हाकिम पाड़ा निवासी एक रेलवे कर्मचारी गौतम कर ने बताया कि रुपये को लेकर पिछले दो दिन से लोग परेशान हैं. उनके घर में भी सब्जी आदि की समस्या हो रही है. वे आज घर में रखा कुल 21 हजार रुपया बैंक में जमाकर नये नोट लेने के वास्ते बैंक पहुंचे, लेकिन नोटिस टंगा देखकर उनका पारा चढ़ गया. अंत में बैंक प्रबंधक ने कोलकाता मुख्य कार्यालय से बात कर लिखित निर्देश आने तक ग्राहकों को धैर्य रखने का आवेदन किया.
क्यों हुई समस्या: स्टेट को-ओपरेटिव बैंक की दार्जिलिंग जिला मुख्य शाखा प्रबंधक देव शंकर घोष ने बताया कि यह बैंक बीआर एक्ट के अंतर्गत शामिल नहीं है. को-ऑपरेटिव बैंक में अन्य बैंको की तरह चेक और ड्राफ्टिंग की सुविधा नहीं है. श्री घोष ने बताया कि संपूर्ण रूप से बैंक ना होने की वजह से आरबीआई और केंद्र सरकार की ओर से जारी किसी भी प्रकार का बैंकिग से संबंधित निर्देश सीधे तौर पर लागू नहीं होता है. को-ऑपरेटिव बैंक के लिये एक अलग निर्देशिका होती है. नोट की अदला-बदली, नकद जमा या निकासी का कोई निर्देश हमारे पास अब तक नहीं आया है. प्रधानमंत्री के घोषणा के बाद से हम लगातार अपने मुख्यालय से संपर्क बनाये हुए हैं, लेकिन अब तक किसी भी प्रकार का लिखित निर्देश नहीं मिला है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद पांच सौ और एक हजार का नोट कागज का टुकड़ा भर है. इससे किसी भी प्रकार का लेन-देन नहीं किया जा सकता.
श्री घोष ने कहा कि स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक किसी अन्य सरकारी बैंक का एक ग्राहक होता है. जैसे कि यह शाखा आइडीबीआइ बैंक के अधीन है. वर्तमान में एक ग्राहक सीमित रुपया ही नकद निकासी कर सकता है. उस सीमित रुपये में हम अपने ग्राहकों की मांग पूरी नहीं कर सकते. इन सभी विषयों को लेकर स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक की समस्या काफी बढ़ गयी है. श्री घोष ने बताया कि यह समस्या सिर्फ इसी शाखा की नहीं, बल्कि पूरे राज्य के सभी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक की है.
क्या हुआ निदान: ग्राहकों द्वारा काफी हल्ला बोल के बाद प्रबंधक श्री घोष ने स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक के एमडी निर्माल्य घोष से फोन पर संपर्क साधा और काफी देर तक बात किया. इसके बाद उन्होंने बताया कि एमडी ने 70 हजार रुपये अधिकतम नकद जमा और एक हजार रुपये अधिकतम निकासी पर सहमति दी है. कुछ ही देर में लिखित निर्देशिका भेजी जायेगी, उसके बाद यह प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगा. इसके बाद बैंक में लगा नोट न लेने का नोटिस उतार दिया गया.