हर आठ मिनट में एक भारतीय होता है फेफड़े के कैंसर का शिकार
फेफड़े के कैंसर के मामले दुनिया भर में बढ़ रहे हैं. जागरूकता और शीघ्र पता लगाने के बावजूद पिछले अनेक वर्षों में समग्र नतीजों में परिवर्तन नहीं हुआ है. संस्था बैंकर द्वारा लगातार की गयी शव-परीक्षा के आधार पर 9210 रोगियों के पुनरीक्षण में सभी कैंसर रोगियों में 14.4 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर के रोगी […]
फेफड़े के कैंसर के मामले दुनिया भर में बढ़ रहे हैं. जागरूकता और शीघ्र पता लगाने के बावजूद पिछले अनेक वर्षों में समग्र नतीजों में परिवर्तन नहीं हुआ है. संस्था बैंकर द्वारा लगातार की गयी शव-परीक्षा के आधार पर 9210 रोगियों के पुनरीक्षण में सभी कैंसर रोगियों में 14.4 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर के रोगी पाये गये. फेफड़े के कैंसर के विषय में बात करते हुए डाॅ चंचल गोस्वामी ने कहा कि अधिकांश मामलों में इसका जल्दी पता नहीं चल पाता है.
अधिकांश मामलों में फेफड़े के कैंसर को तपेदिक (टीबी) के तौर पर डाइग्नोस कर लिया जाता है, इसलिए जब एक रोगी को हमारे पास उपचार के लिए लाया जाता है, तब हमारे पास उसे बचाने के लिए काफी कम समय रह जाता है. डाॅ चंचल गोस्वामी ने कहा कि कि कैंसर कोशिकाओं के विकसित होने का प्रमुख कारण धूम्रपान है, लेकिन इसके अतिरिक्त प्रदूषण, जीवन शैली और खान-पान की खराब आदतें भी इसमें बड़ी भूमिका निभाती हैं. यह सिर्फ शहरी बीमारी नहीं है, बल्कि बीड़ी, हुुक्का और अनफिल्टर्ड तंबाकू के इस्तेमाल के कारण यह ग्रामीण इलाके के लोगों को भी समान रूप से प्रभावित करती है.