निकासी व्यवस्था दुरुस्त करेगा नक्शा
हावड़ा: शहर की लचर निकासी व्यवस्था से परेशान हावड़ा नगर निगम अब अल्ट्रा मॉडर्न सैटेलाइट सिस्टम का सहारा लेगा. इसके जरिये पूरे शहर का अंदरूनी नक्शा (जमीन के अंदर का) बड़ी आसानी से मिल जायेगा. नक्शा से निगम को पूरे शहर के सीवरेज सिस्टम की जानकारी हासिल होगी. निगम ने अल्ट्रा मॉडर्न सैटेलाइट मैपिंग सिस्टम […]
हावड़ा: शहर की लचर निकासी व्यवस्था से परेशान हावड़ा नगर निगम अब अल्ट्रा मॉडर्न सैटेलाइट सिस्टम का सहारा लेगा. इसके जरिये पूरे शहर का अंदरूनी नक्शा (जमीन के अंदर का) बड़ी आसानी से मिल जायेगा. नक्शा से निगम को पूरे शहर के सीवरेज सिस्टम की जानकारी हासिल होगी. निगम ने अल्ट्रा मॉडर्न सैटेलाइट मैपिंग सिस्टम बनाने की जिम्मेदारी शिवपुर आइआइइएसटी को सौंपी है.
इस योजना पर करीब 25 लाख रुपये की लागत आयेगी. इस मुद्दे पर जल्द ही मेयर रथीन चक्रवर्ती और आइआइइएसटी के निदेशक अजय राय के बीच बैठक होने वाली है. बताया जा रहा है कि इस सिस्टम से उन सभी अंडर ग्राउंड नालों की जानकारी मिल जायेगी, जिसके बारे में निगम नहीं जानता. खासकर उत्तर हावड़ा और कोना एक्सप्रेस-वे से संलग्न क्षेत्रों के सीवरेज सिस्टम की कोई जानकारी निगम के पास नहीं है.
1984 से समस्या तस की तस
हावड़ा शहर कोलकाता से भी पुराना है. यह शहर 500 वर्ष पहले का है, जिसकी आकृति कटोरे के जैसी है. बारिश में जलजमाव यहां की सबसे बड़ी समस्या है. निगम की लाख कोशिशों के बावजूद अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो सका है. वर्ष 1984 में हावड़ा नगर निगम का गठन हुआ. तब से लेकर अब तक निकासी व्यवस्था जस की तस है. वर्ष 2013 में निगम में तृणमूल का बोर्ड बना. मेयर डॉ रथीन चक्रवर्ती के नेतृत्व में शहर की निकासी व्यवस्था दुरुस्त करने को लेकर कई दावे किये गये, लेकिन इस वर्ष की बारिश में सारी पोल खुल गयी.
565 किमी तक फैला है खुला नाला
शहर की निकासी व्यवस्था अंगरेजों के जमाने की है. शहर में करीब 565 किलोमीटर क्षेत्रफल में खुला नाला है. नये बोर्ड के गठन के बाद 200 किलोमीटर तक नालों को ढंका गया. शहर के सीवरेज सिस्टम के बारे में निगम के पास ठोस जानकारी नहीं है. अनुमान लगा कर निकासी विभाग काम करता है. सीवरेज सिस्टम का कोई नक्शा नहीं होने के कारण जलजमाव की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है.