सरकारी शिक्षकों की मनमानी के विरुद्ध प्राइवेट शिक्षकों का फूटा गुस्सा

सिलीगुड़ी. सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के मनमानी के विरूद्ध गुरूवार को प्राइवेट शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों का गुस्सा फूट पड़ा. वेस्ट बंगाल प्राइवेट ट्यूटर्स वेलफेयर एसोसिएशन के सिलीगुड़ी इकाई के बैनर तले आज शहर में विरोध प्रदर्शन किया गया. स्थानीय बाघाजतीन पार्क के सामने से विशाल मौन जुलूस निकाली गयी. प्रदर्शनकारी शिक्षक-शिक्षिकाएं मुंह पर काली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 9, 2016 1:33 AM
सिलीगुड़ी. सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के मनमानी के विरूद्ध गुरूवार को प्राइवेट शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों का गुस्सा फूट पड़ा. वेस्ट बंगाल प्राइवेट ट्यूटर्स वेलफेयर एसोसिएशन के सिलीगुड़ी इकाई के बैनर तले आज शहर में विरोध प्रदर्शन किया गया. स्थानीय बाघाजतीन पार्क के सामने से विशाल मौन जुलूस निकाली गयी. प्रदर्शनकारी शिक्षक-शिक्षिकाएं मुंह पर काली पट्टी बांधकर जुलूस में शामिल हुए.

जुलूस सिलीगुड़ी कोर्ट में पहुंचकर घेराव में तब्दील हो गया. कोर्ट कैंपस स्थित महकमा शासक (एसडीओ) के दफ्तर का प्रदर्शनकारियों ने घेराव किया. साथ ही संगठन के सचिव विवेकानंद साहा व मुख्य प्रवक्ता सोमनाथ चक्रवर्ती के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि दल ने एसडीओ हरिशंकर पणिक्कर को ज्ञापन भी सौंपा. एसडीओ ने मामले को गंभीरता से लेने और जिला स्कूल निरीक्षक (डीआइ) को इस पूरे मामले की जांच कर सख्त कार्यवायी करने का निर्देश देने का प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया. संगठन के प्रवक्ता सोमनाथ चक्रवर्ती का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा लागू कानून सरकारी स्कूलों के बच्चों को अलग से ट्यूशन पढ़ाने की पाबंदी के बावजूद सरकारी स्कूलों के शिक्षक-शिक्षिकाएं खूलेआम सरकारी निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं.

श्री चक्रवर्ती का कहना है कि स्कूल के छात्रों को अलग से ट्यूशन पढ़ाने के आड़ में शिक्षक-शिक्षिकाएं काला धन जमा कर रहे हैं. अगर बच्चों को स्कूलों में ही सही तरीके से शिक्षा दी जाये तो उन्हें अलग से ट्यूशन पढ़ाने की कोई जरूरत ही नहीं पड़ेगी. उन्होंने कहा कि हमारी मांग है राज्य सरकार के निर्देश का सख्ती से पालन हो. सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के मनमानी के विरूद्ध प्रशासन खुद कार्रवायी करे. श्री चक्रवर्ती ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हमारी मांगों पर प्रशासन जल्द ध्यान नहीं देती है तो हमें वृहत्तर आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

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