उत्तर बंगाल को मिलेगा सबसे बड़ा धार्मिक भवन

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी धार्मिक नगरी है. धर्म-कर्म का कार्य यहां साल भर चलता है. इसमें तेरापंथी समाज और तेरापंथी भवन का योगदान महत्वपूर्ण है. पिछले तीन दशक तेरापंथ समाज ध्यान, योग, प्रवचन, पर्यावरण संरक्षण, बालिका बचाओ विभिन्न शिविरों के माध्यम से समाज को अपनी सेवा पहुंचा रही है. अध्यात्म और अहिंसा का अनोखा संगम है तेरापंथी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:41 PM

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी धार्मिक नगरी है. धर्म-कर्म का कार्य यहां साल भर चलता है. इसमें तेरापंथी समाज और तेरापंथी भवन का योगदान महत्वपूर्ण है. पिछले तीन दशक तेरापंथ समाज ध्यान, योग, प्रवचन, पर्यावरण संरक्षण, बालिका बचाओ विभिन्न शिविरों के माध्यम से समाज को अपनी सेवा पहुंचा रही है.

अध्यात्म और अहिंसा का अनोखा संगम है तेरापंथी समाज में. अपनी सेवा को विस्तृत करने के उददेश्य से आगामी 26 मई को श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा अपने सबसे बड़े सपने को पूरा करने के लिए नींव रखने जा रही है. बताया जा रहा है कि उत्तर बंगाल का यह सबसे बड़ा सामाजिक व धार्मिक भवन का निर्माण होने जा रहा है. यह प्रोजेक्ट एक लाख 80 हजार स्क्वायर फीट का है. भवन निर्माण व अपनी विचारधार के संबंध में जानकारी देने के लिए शुक्रवार को श्री जैन श्वेतांबर सभा के पदाधिकारी पत्रकारों से मुखातिब हुये.

अध्यक्ष नवरतन पारख ने बताया कि 26 मई को बीएसएफ कैंप के पास, राधाबाड़ी में शिलान्यास समारोह का आयोजन किया जा रहा है. इस भवन का शिलान्यास स्व. पूनमचंद जैन (लूणावत) परिवार की तरफ से श्री जयचंद लाल लूणावत के द्वारा होगा. यह भवन छह मंजिला होगा. पहले फेज का काम 2016 में होगा.

हमारा लक्ष्य दो मंजिला भवन इस अवधि तक तैयार कर लेना है. भवन में विभिन्न सामाजिक -धार्मिक, शादी-ब्याह आदि का कार्यक्रम होगा. उन्होंने आगे बताया कि वर्ष 2016 में जैन तेरापंथ समाज के 11 वें आचार्य श्री महाश्रमण जी पधारेंगे. उल्लेखनीय है कि महाश्रमण जी पैदल यात्र करते है. उनके पास धार्मिक ग्रंथ और एक जोड़ा वस्त्र होता है. उनके काफिला में श्रमणी और श्रमण भाग लेते है.

इनका कुछ भी स्थायी नहीं होता. अच्छे कर्म को ही यह समाज मोक्ष का मार्ग समझती है. इस अवसर पर भवन निर्माण समिति के संयोजक बाबूलाल लूणावत, शिलान्यास कार्यक्रम समिति के संयोजक संजय नाहटा, सचिव नरेंद्र सिंगी, सुनील पुगलिया, जोगराज सरोहिया, मेघराज सेठिया, किशन अंचलिया, रमेश चंद्र वैद्य, राकेश मालू और योग परिषद के भूतपूर्व अध्यक्ष तोलाराम सेठिया उपस्थित थे.

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