निःस्वार्थ सेवाभाव ही मंगल धर्म : आचार्यश्री महाश्रमण
संयम, तप और त्याग है धर्म धर्म का संगीतमय किया विस्तत बखान आचार्यश्री के ‘अहिंसा यात्रा’ का राधाबाड़ी में हुआ मंगल प्रवेश धर्मसभा में जय जिनेंद्र के जयकारों की गूंज सिलीगुड़ी : निःस्वार्थ सेवाभाव ही मंगल धर्म है. संयम, तप और त्याग सबसे बड़ा धर्म है. यह कहना है जैन श्वेताबंर तेरापंथ समाज के धर्मगुरु […]
संयम, तप और त्याग है धर्म
धर्म का संगीतमय किया विस्तत बखान
आचार्यश्री के ‘अहिंसा यात्रा’ का राधाबाड़ी में हुआ मंगल प्रवेश
धर्मसभा में जय जिनेंद्र के जयकारों की गूंज
सिलीगुड़ी : निःस्वार्थ सेवाभाव ही मंगल धर्म है. संयम, तप और त्याग सबसे बड़ा धर्म है. यह कहना है जैन श्वेताबंर तेरापंथ समाज के धर्मगुरु सह अहिंसा यात्रा के प्ररेणा स्रोत आचार्यश्री महाश्रमणजी का. आचार्यश्री का राष्ट्रव्यापी ‘अहिंसा यात्रा’ का विशाल जत्था रविवार को सिलीगुड़ी से सटे जलपाईगुड़ी जिले के राधाबाड़ी में नवनिर्मित तेरापंथ भवन में पहुंचा.
आचार्यश्री के सान्निध्य में अहिंसा यात्रा का विशाल श्वेत सेना और यात्रा में उमड़ा जनसैलाब जैसे ही तेरापंथ भवन पहुंचा वैसे ही धर्मसभा में मौजूद हजारों अनुयायियों ने एक साथ ‘जय जिनेंद्र’ जैसे जयकारों से उनका भव्य स्वागत किया. तेरापंथ धर्मसंघ के 153वें मर्यादा महोत्सव के लिए दोपहर 2.10 बजे आचार्यश्री ने भव्य मंगल प्रवेश कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया.
धर्मसभा में उमड़े विशाल जनसैलाब के साथ धवल सेना व उनके संवाहक, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी एक दीप्यमान सूर्य की भांति ज्ञान, ध्यान और ऊर्जा का आलोक बांटते चले गये. धर्मस्थल के आसपास रहनेवाले ग्रामीणों के लिए भी यह अविस्मरणीय पल था. इस विशाल और अनुशासनात्मक जुलूस को जहां साश्चर्य निहार रहे थे, वहीं इस अविस्मरणीय पल के गवाह भी बने. आचार्यश्री का जत्था आज सुबह फाटापुकुर के एक चाय फैक्ट्री से राधाबाड़ी के लिए कूच किया. जत्था ज्यों-ज्यों आगे बढ़ता गया त्यों-त्यों जत्थे में शामिल जनसैलाब का जोश भी परवान चढ़ता गया. आचार्यश्री भी सबों पर समान रूप से आशीष वृष्टि कर रहे थे.
बीएसएफ के जवानों ने भी लिया आशीर्वाद
अहिंसा यात्रा जैसे ही बीएसएफ के 65वीं बटालियन के कैंप के सामने से गुजरी वैसे ही बीएसएफ जवान भी आचार्यश्री महातपस्वी के समक्ष पहुंचे और उनसे आशिर्वाद लिया. आचार्यश्री ने उन्हें भी शुभाशीष से आच्छादित कर आगे बढ़े. विशाल प्रवचन पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को धर्म रूपी मंगल को उत्कृष्ट मंगल का ज्ञान प्रदान कर आचार्यश्री ने मार्यादा महोत्सव के मंगल प्रवेश को मंगल बनाया.
वहीं मर्यादा महोत्सव प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष मन्नालाल बैद और स्वागताध्यक्ष धनराज भंसाली ने अपने आराध्य देव के शुभागमन पर अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए. धर्मसभा के सफल संचालन हेतु जैन श्वेताबंर तेरापंथी सभा, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, अणुव्रत समिति के अलावा तेरापंथ प्रोफेशन फॉर्म (टीफीएफ) जैसे संगठनों से जुड़े शासकीय प्रभारी दिलीप दुग्गड़, मीडिया प्रभारी हेमंत बैद, मोहन कोठारी, विनोद बैद, सुरेंद्र छाजेड़, केसरी चंद अग्रवाल, महामंत्री रतनलाल भंसाली, करण सिंह जैन, मदन मालू व अन्य कार्यकर्ताओं सदस्यों के अलावा सिलीगुड़ी के समस्त संप्रदाय से पहुंचे विशिष्ठ व्यक्तियों की भी सराहनीय भूमिका रही.
कोहरे के कारण विलम्ब से हुआ विहार
रविवार की सुबह घनकोहरे के कारण फाटापुकुर स्थित चाय की फैक्ट्री से आचार्यश्री का निर्धारित समय से लगभग दो घंटे विलम्ब से विहार हुआ. लगभग आठ किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ गेंडा मोड़ स्थित एवरग्रीन टी फैक्ट्री को अपने चरणरज से पावन करने पहुंचे.
एवरग्रीन फैक्टरी को अपने चरणरज से किया पावन
अपने आराध्य देव को अपने प्रतिष्ठान में पाकर कंपनी के मालिकान और उनके परिवार के सदस्य अपनी किस्मत पर फूले नहीं समा रहे थे. आचार्यश्री ने कंपनी परिसर में ही आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं को धर्म से युक्त व्यवहार करने का ज्ञान प्रदान किया और लगभग तीन घंटे का अल्पप्रवास किया.
153वें मर्यादा महोत्सव के लिए गेंडा मोड़ स्थित एवरग्रीन चाय कंपनी से लगभग एक बजे विशाल किन्तु मर्यादित और भव्य जुलूस निकल रहा था. जुलूस में सर्वप्रथम कंपनी के सदस्य अपने निर्धारित पोशाक में, उनके पीछे कतारबद्ध बाइक सवार युवा, उसके बाद पश्चिम बंगाल की संस्कृति को प्रदर्शित करती बंगाली वेशभूषा में सजी बंगाली महिलाएं शंख ध्वनि करते, आदिवासी पोशाक में सजी कन्याएं, ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी, कन्या मंडल, महिला मंडल, मुख्य जैन ध्वज वाहक, मुमुक्षु बहनों का दल, समणीवृन्द, साध्वी समुदाय के बीच ऐसे शोभित हो रहे थे जैसे अपनी विभिन्न किरणों के आलोक के बीच सूर्य शोभायमान होता हो.