संयम से काम करनेवाला ही लक्ष्य पाता हैः आचार्य महाश्रमण
महाश्रमण शासन निराला लगता है… मंगलगीत से आचार्यश्री की मंगलगाथा सिलीगुड़ी : संयम से काम करनेवाला इंसान ही लक्ष्य को प्राप्त कर पाता है. ऐसे व्यक्तित्व के स्वामी ही सशक्त इंसान होते हैं. यह कहना है जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के 13वें धर्मगुरु आचार्य महाश्रमण जी का. सोमवार से सिलीगुड़ी में शुरु पावन प्रवास के […]
महाश्रमण शासन निराला लगता है… मंगलगीत से आचार्यश्री की मंगलगाथा
सिलीगुड़ी : संयम से काम करनेवाला इंसान ही लक्ष्य को प्राप्त कर पाता है. ऐसे व्यक्तित्व के स्वामी ही सशक्त इंसान होते हैं. यह कहना है जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के 13वें धर्मगुरु आचार्य महाश्रमण जी का.
सोमवार से सिलीगुड़ी में शुरु पावन प्रवास के दौरान स्थानीय एसएफ रोड स्थित सिद्धि विनायक बैंक्वेट हॉल में आयोजित 153वां मर्यादा महोत्सव के विराट धर्मसभा को आचार्यश्री संबोधित कर रहे थे. धर्मसभा में विराजे हजारों अनुयायियों को उन्होंने संयम का पाठ पढ़ाया. साथ ही पंडित के सही मायने से सभी को रूबरू कराया. आचार्यश्री ने कहा कि पंडित का सही मतलब विद्वान होता है और विद्वान अपनी विद्वता से ही आगे चलकर महापुरुष बनता है. ऐसे विद्वत महापुरुष पूरे देश-दुनिया में अब-तक विरले ही हुए हैं और जो हुए हैं उनका संगत पाकर हर किसी इंसान ने अपना जीवन सार्थक किया है. सिलीगुड़ी में आज से शुरू मर्यादा महोत्सव को संबोधित करने जैसे ही आचार्यश्री भव्य मंच पर विराजे अनुयायियों ने ‘जय जिनेंद्र, जय गुरुदेव…’ जैसे जयकारों से उनका भव्य स्वागत किया.
साथ ही तेरापंथ समाज की कन्या मंडली की ओर से गाये गये मंगलगीतों ‘महाश्रमण शासन निराला लगता है…, गुरुदेव का आभा मंडल प्यारा लगता है…’ के माध्यमों से युवतियों ने आचार्यश्री के मंगलगाथा का बखान किया.
आचार्यश्री ने 2014 में दिल्ली से शुरु की अहिंसा यात्रा: आचार्यश्री महाश्रमण मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति सिलीगुड़ी इकाई के मुख्य संरक्षक सुरेंद्र छाजड़ ने बताया कि आचार्यश्री की यह राष्ट्रव्यापी ‘अहिंसा यात्रा’ नौ नवंबर, 2014 को दिल्ली के लाल किले से शुरु हुई थी. जो यूपी, नेपाल, बिहार, बंगाल, पूर्वोत्तर भारत के सभी राज्य असम, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा होते हुए वापस लौट रही है. समिति के जनसंपर्क अधिकारी हेमंत बैद ने बताया कि सिलीगुड़ी में आचार्यश्री का प्रवास आज से शुरू हुआ है. जो 11 फरवरी तक चलेगा. अहिंसा यात्रा वापस सिलीगुड़ी से 12 फरवरी को बागडोगरा के लिए रवाना होगी. बागडोगरा में आचार्यश्री का प्रवास 20 फरवरी तक चलेगा.
आचार्यश्री से सिलीगुड़ी हुआ रौशनमय : कनक प्रभाजी
आचार्यश्री के आभा (रोशनी) से सिलीगुड़ी रौशनमय हो गया है. जिसतरह सूर्य के आभा में सात रंग होते हैं वैसे ही आचार्यश्री की आभा भी सतरंगी है. यह कहना है तेरापंथ महिला समाज की ख्यातिप्राप्त साध्वी कनक प्रभाजी का. आज उन्होंने आचार्यश्री के सिलीगुड़ी प्रवास के पहले दिन धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि इंसान अपने कर्मों से ही सुख-दुख भोगता है.
अगर इंसान अपने जीवन में केवल सुख-शांति चाहता है तो उसे सही मार्ग दर्शन की जरूरत है. बच्चा बचपन में अपने माता-पिता के मार्ग दर्शन में चलता है कुछ दिनों बाद स्कूल के शिक्षकों के मार्ग दर्शन पर चलता है. लेकिन सच्चा मार्ग दर्शन एकमात्र गुरु-संत ही दे सकते हैं. जो इंसान गुरु के दिखाये सन्मार्ग और उनके सद्विचारों को अपने में आत्मसात कर लेता है उसका जीवन सार्थक हो जाता है. साथ ही ऐसे इंसान सभी दुख-कष्टों से मुक्त हो जाते हैं. जो इंसान सांसारिक दुखों से घबराया हुआ है और मुक्ति चाहता है तो उसे गुरु-संत-महापुरुषों के सान्निध्य में जाना ही होगा. कनक प्रभा जी ने अपने प्रवचन के दौरान सबों से संत समागम का लाभ उठाने की सलाह दी.
सिलीगुड़ी पहुंची आचार्य श्री की ‘अहिंसा यात्रा’
आचार्यश्री की राष्ट्रव्यापी ‘अहिंसा यात्रा’ सोमवार को सिलीगुड़ी पहुंच गयी. यह अहिंसा यात्रा आज सुबह उनके सान्निध्य में फूलबाड़ी के नजदीक स्थित राधाबाड़ी स्थित नवनिर्मित तेरापंथ भवन से शुरू हुई.
जो 12 किलोमीटी की पदयात्रा कर सुबह करीब नौ बजे एसएफ रोड स्थित सिद्धि विनायक पहुंची. यह अहिंसा यात्रा विभिन्न अलौकिक व जनजागरूकता झांकियों एवं विभिन्न धर्म-संप्रदाय के लोकनृत्य व संस्कृतियों को अपने में समाहित किये हुए थी. साथ ही आचार्यश्री के इस यात्रा में सैकड़ों साधु-साध्वियों, श्वेत व धवल सेना के अलावा हजारों की तादाद में उनके अनुयायी, तेरापंथ समाज व हरेक संप्रदाय से प्रतिनिधि एवं विशिष्ठ व्यक्ति भी मौजूद थे.