उल्लेखनीय है कि इस साल 18 जनवरी को एक गाड़ी चालक अनमोल छेत्री ने अपने मोबाइल कैमरे से एक बाघ की तस्वीर ली थी. इससे यह जाहिर हो गया कि नेउरावैली जंगल में रॉयल बंगाल टाइगर है. उसके बाद ही वन विभाग ने बाघों पर निगरानी के लिए आठ स्थानों पर ट्रैप कैमरा लगाने का निर्णय लिया था. आठ स्थानों पर 20 जनवरी को ये ट्रैप कैमरे लगा भी दिये गये.
इन कैमरों से भी बाघों की तस्वीर लेने में सफलता मिली. वन विभाग सूत्रों ने बताया कि कुल दो चरणों में ये आठ कैमरे लगाये गये और तब से लेकर अब तक बाघों की तीन तस्वीर इन कैमरों के द्वारा ली गई थी. इन तस्वीरों को जांच के लिए देहरादून के वाइल्ड लाइफ इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया भेजा गया है.
इससे यह पता चलेगा कि यह तीनों ही तस्वीर एक ही बाघ के हैं या तीन अलग-अलग बाघों की तस्वीर है. इस बीच, वन विभाग ने उत्तर बंगाल के गोरूमारा, जलदापाड़ा, चपड़ामारी, महानंदा, बक्शा बाघ जंगल इलाकों में और भी कई वीडियो ट्रैप कैमरा लगाने का निर्णय लिया है. इस पर कुल 55 लाख रुपये खर्च किये जायेंगे. इस बीच, एक ट्रैप कैमरे की चोरी होने की घटना ने वन विभाग की चिंता बढ़ा दी है. उत्तर बंगाल वन्य प्राणी विभाग के मुख्य वनपाल एनएस मुरली ने कहा है कि इस मामले की शिकायत थाने में दर्ज करा दी गई है.