जलपाईगुड़ी: शिशु तस्करी कांड में जलपाईगुड़ी जिला शिशु सुरक्षा अधिकारी (डीसीपीओ) सस्मिता घोष का नाम सामने आने और उनकी गिरफ्तारी के बाद डीसीपीओ कार्यालय का कमरा स्थायी रूप से बंद कर दिया गया. इतना ही नहीं, जिला समाज कल्याण अधिकारी को शिशु सुरक्षा कार्यालय का अतिरिक्त दायित्व भी दिया गया. जलपाईगुड़ी जिला अधिकारी कार्यालय में स्थित डीसीपीओ कार्यालय को तालाबंद कर उसे जिला समाज कल्याण कार्यालय में ले जाया गया है. जिला अधिकारी कार्यालय में ही समाज कल्याण कार्यालय भी है. समाज कल्याण कार्यालय में जगह की कमी होने से शिशु सुरक्षा विभाग के कर्मियों को काफी समस्या हो रही है.
उनका कहना है कि उनके लिए बैठने की जगह तक नहीं है. शिशु सुरक्षा कार्यालय में ताला बंद होने के बाद से विभिन्न होमों का निरीक्षण, शिशुओं को गोद देने का काम व अन्य विभागीय काम ठप पड़े हैं. इस बारे में जलपाईगुड़ी जिला अधिकारी ने बताया कि शिशु सुरक्षा कार्यालय में कई महत्वपूर्ण कागजात हैं. इसलिए उसे फिलहाल बंद रखा गया है.
उल्लेखनीय है कि चंदना चक्रवर्ती के होम कांड के सामने आने के बाद सस्मिता घोष को निलंबित कर दिया गया था. इसके बाद गत पांच फरवरी को जांच एजेंसी सीआइडी ने सस्मिता को गिरफ्तार कर लिया. सस्मिता की गिरफ्तारी के बाद जिला अधिकारी कार्यालय में स्थित उनके कक्ष को स्थायी रूप से बंद कर दिया गया और शिशु सुरक्षा कार्यालय को समाज कल्याण कार्यालय के कक्ष में ले जाया गया. सूत्रों ने बताया कि शिशु सुरक्षा अधिकारी के कार्यालय में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं, जिनकी जरूरत सीआइडी को शिशु तस्करी कांड की जांच के दौरान पड़ेगी.
इस बीच, इस कार्यालय से सीआइडी अपनी जरूरत के अनुसार कई फाइलें ले गयी है. उसे कार्यालय में रखी और फाइलों की जरूरत पड़ सकती है. इन फाइलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचे, इसके लिए डीसीपीओ के कार्यालय को स्थायी रूप से बंद कर दिया गया है. इन सबका नतीजा समाज कल्याण विभाग के कर्मचारियों को झेलना पड़ रहा है. नाम न छापने की शर्त पर शिशु सुरक्षा कार्यालय के एक कर्मचारी ने बताया कि उन्हें बैठने की जगह नहीं मिल रही है. उन्हें अक्सर कमरे के बाहर ही इधर-उधर भटकना पड़ता है. शिशु सुरक्षा विभाग का पूरा काम ठप पड़ा हुआ है.
जलपाईगुड़ी की जिला अधिकारी रचना भगत ने कहा कि महत्वपूर्ण फाइलों की सुरक्षा की दृष्टि से डीसीपीओ कार्यालय को अस्थायी रूप से बंद किया गया है. लेकिन उन्हें शिशु सुरक्षा विभाग के कर्मचारियों की परेशानी के बारे में जानकारी नहीं है.