मुसीबत: महानंदा नदी किनारे अवैध कब्जे वाले लोगों को निगम का नोटिस, माह के अंत में चलेगा बुल्डोजर
सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी में महानंदा नदी के किनारे को कब्जामुक्त करना सिलीगुड़ी नगर निगम के लिये एक चुनौतीहै. अप्रैल के अंत में नदी किनारे बने घरों व खटालों पर निगम ने बुल्डोजर चलाने का निर्णय लिया है. प्रत्येक नगर निगम चुनाव में महानंदा की सफाई और किनारे को दखल मुक्त कराने का सिर्फ आश्वासन ही मिलता […]
सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी में महानंदा नदी के किनारे को कब्जामुक्त करना सिलीगुड़ी नगर निगम के लिये एक चुनौतीहै. अप्रैल के अंत में नदी किनारे बने घरों व खटालों पर निगम ने बुल्डोजर चलाने का निर्णय लिया है. प्रत्येक नगर निगम चुनाव में महानंदा की सफाई और किनारे को दखल मुक्त कराने का सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा है. इस बार वाम मोरचा बोर्ड ने पिछले साल महानंदा नदी के किनारे को दखलमुक्त कराने का अभियान चलाया था. लेकिन इस एकदिवसीय अभियान पर राजनीतिक उलझनें भारी पड़ गयी.
महानंदा नदी को सिलीगुड़ी का हृदय माना जाता है. बीचों-बीच शहर को चीरती हुयी यह नदी बांग्लादेश होते हुए बंगाल की खाड़ी तक जाती है. कुछ वर्ष पहले इस नदी को लेकर सरकार ने पर्यटन और शहर के सौंदर्यीकरण को लेकर कई योजना बनायी थी. उसमेंसफलता नहीं मिली. महानंदा एक्शन प्लान अभी भी राजनीति गलियारों में लटका पड़ा है. वर्षों पहले नदी का दृश्य बड़ा मनोरम हुआ करता था. अब ऐसा नहीं है. पिछले कुछ वर्षों में सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर एक और तीन से होकर गुजरने वाली महानंदा नदी का किनारा लोगों ने कब्जा कर लिया. नदी के उपर बने दो ब्रिज को छत समझ बना कच्चे मकान बना लिये गए. गाय व भैंस का खटाल बनाकर व्यवसाय भी शुरु कर दिया. वर्तमान में स्थिति यह है कि नदी के किनारे पक्के मकान बनने लगे हैं. महानंदा का मनोरम दृश्य अब एक बस्ती में बदल गया है. नदीं किनारे रहने वाले अधिकांश लोगों के घरों में शौचालय नहीं है. वहीं दूसरी तरफ खटालों की वजह से गंदगी एक भयंकर रुप धारण कर रही है. इस ओर किसी का ध्यान नहीं है. चुनाव आते ही सभी राजनीतिक पार्टियां महानंदा नदी को कब्जामुक्त और सफाई करने की बात करती है. चुनाव समाप्त होते ही सत्ताधारी के साथ विपक्षी पार्टियां भी इस मामले को ताख पर रख देती हैं. वास्तविकता यह है कि नदी किनारे लोगों की संख्या काफी बढ़ गयी. यहां अब काफी वोटर हैं. कोई भी इनसे पंगा लेकर पार्षद की कुरसी छोड़ना नहीं चाहता. बीते वर्ष दिसंबर माह में निगम की वर्तमान वाम बोर्ड ने महानंदा नदी किनारे को दखल मुक्त कराने के लिये एक दिवसीय अभियान चलाया .इस अभियान को लेकर एक बखेड़ा खड़ा करने की कोशिश की गयी. तीन नंबर वार्ड पार्षद तथा निगम के उप मेयर रामभजन महतो के कार्यालय में काफी तोड़-फोड़ की गयी. इस घटना को लेकर माकपा और तृणमूल के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर कुछ दिन चला. इसके बाद से निगम फिर शांत है. बारिश होते ही महानंदा नदी उबलने लगती है और पानी खतरे के निशान के उपर पहुंच जाता है. किनारे बसे लोग नदी को शौचालय की तरह उपयोग करते हैं. साथ ही खटाल की गंदगी और घरों का कचरा भी नदी में ही बहाया जाता है. फ्लस्वरुप प्रदूषण काफी तेजी से बढ़ रहा है. जहां एक ओर भारत सरकार पूरे देश में गंगा सफाई अभियान चला रही है वहीं सिलीगुड़ी की महानंदा नदी इतिहास बनने की ओर बढ़ रहा है.
नगर निगम सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महानंदा नदी किनारे को कब्जा मुक्त कराने के लिये निगम में बैठक की जा चुकी है. इस बैठक में सभी वार्ड पार्षदों के अलावा निगम के प्रशासनिक अधिकारी भी थे. गैर कानूनी रुप से किनारा दखल कर बसे लोगों को अल्टीमेटम देने के बाद इस महीने के अंत में एक बार फिर अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है.
क्या कहते हैं डिप्टी मेयर
इस संबंध में सिलीगुड़ी नगर निगम के उपमेयर राम भजन महतों ने बताया कि महानंदा नदी को दखल मुक्त कराना हमारा उद्देश्य है. पुलिस प्रशासन पर उंगली उठाते हुए उन्होंने कहा कि समय पर पर्याप्त पुलिस बल की सहायता नहीं मिलती है. हमने एक बार अभियान चलाया है. महानंदा नदी के किनारे पर गैरकानूनी तौर पर बसे लोगों को अल्टीमेटम भेजा जा रहा है. इस महीने के अंत में फिर से अभियान चलाने पर विचार-विमर्श किया जा रहा है.