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सिलीगुड़ी : नक्सली आंदोलन आज दिशा से भटक गयी है, इसकी पीड़ा नक्सलबाड़ी में‘आखिरी नक्सली’ केरूप में पहचानेजानेवाले पवन चंद्र सिंह को भी है. पवन चंद्र चारू मजूमदार की अगुवाई में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी नामक छोटे से गांव से शुरू हुए आंदोलन के सदस्य थे. 25 मई, 1967 को यहां से नक्सली आंदोलन शुरू हुआ था.
आज नक्सलबाड़ी एक छोटा गांव से कस्बा बन चुका है. यह कस्बा आज शांत है.यहदेशकेआम कसबेकी तरह है. यहां राजनीतिक दलों के पोस्टर वबैनरलगे दिखते हैं. पवन चंद्र सिंह के दिल में नक्सल आंदोलन की आग अब भी सुलग रही है. उन्हें आज भी उस क्रांति का इंतजार है, जिसके बाद सत्ता पर सर्वहारा का कब्जा होगा. वे लेनिन, स्टालीन व माओ से चारू मजूमदार की तुलना करते हैं.
नक्सलबाड़ी आंदोलन के बाद उन्होंने कभी वोट नहीं दिया है. उनका वोट पर भरोसा नहीं है और पूंजीपतियों के पास जमीन जाने का खतरा व्यक्त करते हैं. वे सत्ता की रहने पर चलने वाले के गलत रास्ते पर जाने की बात करते हैं. उन्हें सरकार पर भरोसा नहीं है.