SSC Recruitment Case : एसएससी मामले में हाईकाेर्ट का आया बड़ा फैसला, अब तक कई आरोपी हुए गिरफ्तार, कई है रडार पर
SSC Recruitment Case : कई हजार अभ्यार्थी परीक्षा में उर्त्तीण होने के बावजूद आज भी नौकरी के इंतजार में है तो वहीं कई ऐसे लोग है जिन्हें बिना परीक्षा दिये ही उन्हें नौकरी मिल गई है. बंगाल में शिक्षक भर्ती मामला धीरे-धीरे पेचिदा होते जा रहा है. कई बड़े मंत्रियों का नाम शिक्षक भर्ती मामले से जुड़ता जा रहा है.
SSC Recruitment Case : कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को एसएससी (SSC) मामले में अपना फैसला सुनाया है. पिछले तीन वर्षों में राज्य की जनता ने इस मामले में कितने नाम सुने हैं, इसका उन्हें कोई अंदाजा नहीं है. वे समाज के विभिन्न स्तरों से आते हैं. इतने दिनों में कितने नाम खो गए. कई नए किरदार सामने आए हैं. कितने पुराने किरदार एक नए मोड़ के साथ सामने आये. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के सामने कई मामलों की सुनवाई हुई़. एसएससी मामले को लेकर कई मोड़ सामने आएं है. कई हजार अभ्यार्थी परीक्षा में उर्त्तीण होने के बावजूद आज भी नौकरी के इंतजार में है तो वहीं कई ऐसे लोग है जिन्हें बिना परीक्षा दिये ही उन्हें नौकरी मिल गई है. बंगाल में शिक्षक भर्ती मामला धीरे-धीरे पेचिदा होते जा रहा है. कई बड़े मंत्रियों का नाम शिक्षक भर्ती मामले से जुड़ता जा रहा है. केन्द्रीय एजेंसियां शिक्षक भर्ती मामले की कड़ियों को जोड़ने में लगी हुई है.
पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय
कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने नवंबर 2021 में एसएससी भर्ती भ्रष्टाचार मामले में पहली सीबीआई जांच का आदेश दिया था. बाद में उन्होंने भर्ती भ्रष्टाचार के सात और मामलों की सीबीआई जांच का आदेश दिया था. आखिरी बार सीबीआई जांच का आदेश 17 मई 2022 को दिया गया था. उदाहरण के तौर पर रात के 11 बजे कोर्ट ने एसएससी कार्यालय को केंद्रीय बलों से घेरने का आदेश दिया. इतना ही नहीं, पूर्व जस्टिस गंगोपाध्याय ने भर्ती मामले में करीब 5,000 नौकरियां रद्द करने का भी आदेश दिया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने चरण दर चरण उन सभी आदेशों को निलंबित कर दिया. अभिजीत हाल ही में जज पद से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हुए हैं. तमलुक लोकसभा चुनाव में पद्मा उम्मीदवार भी बने.
स्कूलों में हुई नियुक्तियों में अब तक गिरफ्तार
पार्थ चटर्जी : स्कूलों में हुई अवैध नियुक्तियों के मामले में 23 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने गिरफ्तार किया है. पार्थ चटर्जी 20 मई, 2014 से 10 मई, 2021 तक राज्य के शिक्षा मंत्री रहे हैं. इसके बाद 10 मई, 2021 से इस साल 28, जुलाई तक वह उद्योग मंत्री रहे. इडी ने उन्हें इस घोटाले में धोखाधड़ी, अवैध तरीके से हुई नियुक्तियों के घोटाले में प्रमुख आरोपियों में से एक बताया है.
अर्पिता मुखर्जी : अर्पिता, जो कि पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की काफी करीबी बतायी जाती हैं, उन्हें भी इडी ने ही गिरफ्तार किया है. उनकी गिरफ्तारी 22 जुलाई को हुई. उनके आवास से करीब 49.8 करोड़ रुपये की राशि और करोड़ों के गहने बरामद हुए थे. उनपर पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया गया है. उनपर आरोप है कि वह घोटाले से प्राप्त रुपये की लाभार्थी रही हैं व उनकी शेल कंपनियों के ज़र्रे घोटाले की रकम दूसरी जगह स्थानांतरित की गयी.
शांति प्रसाद सिन्हा : वर्ष 2011 से 2014 तक वेस्ट बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के सचिव रहे हैं. इसके बाद 2016 से 2021 तक वह स्कूल सेवा आयोग के चेयरमैन रहे हैं. 2019 से 21 तक सिन्हा एसएससी नियुक्ति सलाहकार समिति के संयोजक रहे हैं. उन्हें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने आठ अगस्त को गिरफ्तार किया है. उनकी भूमिका कक्षा नौवीं और दसवीं के लिए अवैध तरीके से सहायक शिक्षकों की हुई नियुक्तियों में होने के आरोप हैं. साथ ही राज्य के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में ग्रुप सी के पदों पर हुई अवैध नियुक्तियों में भी इनकी भूमिका रही है. इनपर भी धोखाधड़ी और प्रिवेंशन ऑफ क्रप्शन एक्ट, 2018 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
अशोक कुमार साहा : सीबीआइ ने आठ अगस्त को इन्हें गिरफ्तार किया था. वह एसएससी के पूर्व चेयरमैन रह चुके हैं. इन पर भी राज्य के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में ग्रुप सी के पदों पर अवैध नियुक्ति के घोटाले में शामिल होने का आरोप है. इन पर धोखाधड़ी और प्रिवेंशन प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 2018 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
कल्याणमय गांगुली : वेस्ट बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं. उनका कार्यकाल 2012 से जून 2022 तक रहा. उन्हें सीबीआइ ने 15 सितंबर को गिरफ्तार किया. इन पर राज्य के सरकारी स्कूलों में ग्रुप सी के पदों पर अवैध नियुक्तियों के घोटाले में शामिल होने का आरोप है. इनके खिलाफ भी धोखाधड़ी और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट, 2018 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
सुबीरेश भट्टाचार्य : नार्थ बंगाल यूनिवर्सिटी के पूर्व चेयरमैन रह चुके हैं. साथ ही 2014 से 2018 तक वह एसएससी के चेयरमैन रह चुके हैं. कक्षा नौवीं व दसवीं के लिए सहायक शिक्षकों की अवैध नियुक्तियों के घोटाले में उनकी भूमिका होने के आरोप लगे हैं. उन्हें सीबीआइ ने 19 सितंबर को गिरफ्तार किया था.
माणिक भट्टाचार्य : प्राथमिक शिक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा विधायक हैं उन्हें इडी ने 10 अक्तूबर को गिरफ्तार किया है. उन पर राज्य के प्राथमिक स्कूलों में अवैध नियुक्तियों के घोटाले में प्रमुख आरोपियों में से एक माना जा रहा है. उनपर आरोप कि है टीइटी, 2014 में अवैध तरीके मेरिट लिस्ट में असफल अभ्यर्थियों को उनके जरिये नियुक्ति हुई.
प्रसन्न राय : पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी का रिश्तेदार प्रदीप पर घोटाले में बिचौलिए की भूमिका अदा करने का आरोप है. उसे सीबीआइ ने सितंबर में गिरफ्तार किया. उसपर शेल कंपनियों के जरिये घोटाले से प्राप्त कालाधन सफेद करने का भी आरोप है.
प्रदीप सिंह : सीबीआइ ने इन्हें 2022 सितंबर में गिरफ्तार किया. यह प्रसन्न का कर्मचारी है, जिसपर घूस देने वाले अभ्यर्थियों की सूची बनाने और रकम एक से दूसरे स्थान पर पहुंचाने का आरोप है.
सुजाॅयकृष्ण भद्र : 31 मई 2023 में इडी ने व्यवसायी और तृणमूल कांग्रेस नेता अभिषेक बनर्जी के करीबी सुजॉय कृष्ण भद्र को 12 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था. सुजॉय कृष्ण भद्र ‘कालीघाटेर काकू’ के नाम से लोकप्रिय हैं.
वकील विकास भट्टाचार्य
4 अक्टूबर 2021 को वकील विकास भट्टाचार्य ने भर्ती भ्रष्टाचार का मामला पहली बार अदालत के ध्यान में लाया. यह ग्रुप डी में भर्ती का मामला था. विकास के साथ उनके ‘जूनियर’ फिरदौस शमीम और सुदीप्त दासगुप्ता भी थे. बाद में उसी साल 8 नवंबर को ग्रुप सी का मामला शुरू हुआ. विकास ने नौकरी चाहने वालों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में केस भी लड़ा. भर्ती का केस लड़ने के दौरान उन्हें कई बार विरोध का सामना करना पड़ा था.
शिक्षक भर्ती मामले में जांच अभी भी है जारी
शिक्षक मामले में केन्द्रीय एजेंसियों की जांच अब भी जारी है. कई गिरफ्तारियां हो चुकी है कई बाकी है. अदालत से लेकर सीबीआइ तक हर कोई शिक्षक भर्ती मामले के मास्टरमाइंड की तलाश में जुटा हुआ है. गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ जारी है. अब भी कई पहलूओं का सामने आना बाकी है.