संवाददाता, कोलकाता
पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा 25 से अधिक सीट जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही थी, लेकिन वह 12 सीट ही जीत सकी. पिछली बार की तुलना में छह सीटें कम हो गयीं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र स्वास्तिका ने यह स्वीकार किया है कि प्रदेश भाजपा के पास मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ कोई स्वीकार्य चेहरा नहीं है.
राष्ट्रीय स्तर पर भी भाजपा का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा. बंगाल में भी पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा, जबकि तृणमूल ने पिछली बार की तुलना में सात सीट अधिक जीती थी.
क्या कहा गया आरएसएस के मुखपत्र में
स्वास्तिका पत्रिका के प्रतिवेदन में लिखा गया है कि चार साल बाद भी ममता बनर्जी के खिलाफ ग्रहण योग्य व स्वीकार्य चेहरा भाजपा के पास नहीं होने के कारण पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायी. वर्ष 2019 के बाद हुए तीन चुनावों में से दो में भाजपा की हार हुई है. वर्ष 2026 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव पार्टी के लिए अंतिम अग्निपरीक्षा के समान है. इसके साथ ही यह भी लिखा गया है कि जिन्हें लोग जानते तक नहीं, ऐसे भी उम्मीदवार उतार दिये, जिसका खामियाजा चुनाव में झेलना पड़ा. यह भी कहा गया है कि कमजोर संगठन व जनता के साथ संपर्क नहीं होना, भी हार की एक वजह रही है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व सांसद दिलीप घोष की सीट बदलने को लेकर भी इसके पहले पत्रिका ने सवाल उठाया था. प्रतिवेदन में लिखा गया है कि खुद की खामियों को देख यदि कदम उठाये जाते हैं, तो भविष्य के लिए अच्छा होगा. सांगठनिक कमजोरी के कारण भाजपा को छह सीटों के साथ लगभग डेढ़ फीसदी वोट का नुकसान उठाना पड़ा. साथ ही नेताओं की आपसी गुटबाजी पर भी सवाल उठाया गया है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है