चुनाव परिणाम की समीक्षा में जुटी प्रदेश भाजपा
राज्य भाजपा लोकसभा चुनाव में पार्टी को अपेक्षित सफलता न मिलने के कारणों का पता लगाने में जुट गयी है.
संवाददाता, कोलकाता
राज्य भाजपा लोकसभा चुनाव में पार्टी को अपेक्षित सफलता न मिलने के कारणों का पता लगाने में जुट गयी है. एग्जिट पोल में पार्टी के लिए बेहतर परिणाम के आंकड़े पेश किये गये थे. लेकिन नतीजे अलग आये. इस बार के लोकसभा चुनाव में राज्य की 42 सीटों में से 29 पर सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने जीत दर्ज कर ली. इससे भाजपा के 35 सीट हासिल करने के लक्ष्य को करारा झटका लगा है. भाजपा केवल 12 सीटों पर ही कमल खिला पायी है, जबकि एक सीट कांग्रेस की झोली में गयी है.
अब इस हार को लेकर प्रदेश भाजपा ने समीक्षा शुरू कर दी है.
प्रदेश भाजपा के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पार्टी ने चुनाव परिणाम को लेकर सभी जिला अध्यक्षों व पदाधिकारियों से सात दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगी है. इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा के दो केंद्रीय मंत्री सहित कई कद्दावर नेता चुनाव हार गये हैं. इनमें दिलीप घोष, लॉकेट चटर्जी, अग्निमित्रा पॉल, डॉ सुभाष सरकार व निशीथ प्रमाणिक शामिल हैं. इनकी हार ने प्रदेश भाजपा की चिंता बढ़ा दी है. भाजपा ने लोकसभा चुनाव के नतीजों के जरिये ही 2026 में यहां सरकार बनाने की सपना देख रही थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली हार ने भाजपा की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.
भाजपा के चुनाव परिणाम पर राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि पश्चिम बंगाल में पार्टी ने सीएए के कार्यान्वयन और हिंदू ध्रुवीकरण का लाभ उठाते हुए 35 लोकसभा सीट हासिल करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया था, जो पूरा नहीं हो पाया. विश्लेषकों का मानना है कि आंतरिक विभाजन, संगठनात्मक कमजोरियां व वाम-कांग्रेस गठबंधन के प्रभाव ने भाजपा के लिए तृणमूल विरोधी वोट हासिल करना कठिन बना दिया. भाजपा का वोट प्रतिशत 40 से तीन फीसदी घटकर 37 रह गया है. तृणमूल का वोट प्रतिशत बढ़कर 47 प्रतिशत हो गया जो 2019 में 43 प्रतिशत था.
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