राज्य में अब केंद्रीय बलों की जरूरत नहीं : हाइकोर्ट

राज्य में लोकसभा चुनाव के दौरान व उसके बाद से ही कई जगहों पर हिंसा की घटनाएं सामने आयी हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान हिंसा की घटनाओं को देखते हुए चुनाव आयोग ने यहां मतगणना के बाद 19 जून तक केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात करने का आदेश दिया था. इसके बाद कलकत्ता हाइकोर्ट ने इस अवधि को 26 जून तक के लिए बढ़ा दी थी.

By Prabhat Khabar News Desk | June 27, 2024 12:07 AM

कोलकाता.

राज्य में लोकसभा चुनाव के दौरान व उसके बाद से ही कई जगहों पर हिंसा की घटनाएं सामने आयी हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान हिंसा की घटनाओं को देखते हुए चुनाव आयोग ने यहां मतगणना के बाद 19 जून तक केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात करने का आदेश दिया था. इसके बाद कलकत्ता हाइकोर्ट ने इस अवधि को 26 जून तक के लिए बढ़ा दी थी. बुधवार को चुनाव बाद हिंसा के मामले की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने राज्य में केंद्रीय बलों की तैनाती की अवधि बढ़ाने पर सहमत नहीं हुआ. हाइकोर्ट के न्यायाधीश हरीश टंडन व न्यायाधीश हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि अब यहां केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात करने की जरूरत नहीं है. हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को शांति बनाये रखने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है. हालांकि, हाइकोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र सरकार चाहे, तो वह कानून-व्यवस्था की स्थिति के आधार पर केंद्रीय बलों की तैनाती की अवधि बढ़ाने का फैसला कर सकती है. बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान खंडपीठ राज्य सरकार को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. न्यायाधीश हरीश टंडन और न्यायाधीश हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में शांति बहाल करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. यदि राज्य ऐसा करने में विफल रहता है, तो केंद्र सरकार केंद्रीय बलों को तैनात करने के लिए स्वतंत्र है. इस मामले में हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है. हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को चुनाव बाद हिंसा के बाद अब तक उठाये गये कदम पर रिपोर्ट मांगी है.

मामले की सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने न्यायालय को सूचित किया कि राज्य चुनाव बाद हिंसा की शिकायतों की जांच कर रहा है. साथ ही दावा किया कि बड़ी संख्या में फर्जी शिकायतें भी प्राप्त हुई हैं, जबकि कई अन्य अधूरी हैं. वहीं, हिंसा से पीड़ितों की ओर से मामले की पैरवी कर रही

अधिवक्ता प्रियंका टिबड़ेवाल ने न्यायालय के समक्ष हिंसा में विस्थापित हुए लोगों की सूची सौंपी और अदालत से विस्थापितों को सुरक्षित रूप से उनके घरों में वापस पहुंचाया जाने की मांग की. वहीं, केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि न्यायालय के निर्देशों के आधार पर केंद्रीय बलों की तैनाती को बढ़ाया जा सकता है. इस पर न्यायालय ने निर्देश दिया कि केंद्र सरकार कानून-व्यवस्था की स्थिति के आधार पर केंद्रीय बलों की आगे की तैनाती के लिए कोई भी निर्णय ले सकती है.

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