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हावड़ा में ही है राज्य सचिवालय, फिर भी नहीं बदली तस्वीर

तीन दिनों पहले हावड़ा में जमे पानी में करंट लगने से कॉलेज की एक छात्रा की मौत हो गयी थी.

हावड़ा में नालियां खस्ताहाल, खुले मैनहोल से लोगों की जिंदगी मुहाल संवाददाता, हावड़ा . तीन दिनों पहले हावड़ा में जमे पानी में करंट लगने से कॉलेज की एक छात्रा की मौत हो गयी थी. हालांकि उस घटना के बाद भी हावड़ा नगर निगम प्रशासन ने सबक नहीं लिया. तभी तो इस बार एक महिला की खुले नाले में गिरने से मौत हो गयी. पहली घटना बांधाघाट इलाके में हुई थी, जबकि ताजी घटना हावड़ा नगर निगम के चटर्जीहाट थाना इलाके में हुई. एक के बाद एक हो रहीं इन घटनाओं के कारण हावड़ा नगर निगम फिर सवालों के घेरे में है. लोगों का कहना है कि हावड़ा का खस्ताहाल ड्रेनेज, खुले मैनहोल से जहां लोगों की जिंदगी मुहाल हो गयी है, वहीं अब खुले नालों और जहां-तहां फैले बिजली के तार लोगों की जिंदगी भी छीन रहे हैं. जिले में जब राज्य सरकार का सचिवालय बना, तो जिलेवासियों को लगा था कि अब हावड़ा के दिन बहुरेंगे. लेकिन तृणमूल कांग्रेस लगातार तीसरी बार राज्य में सत्तासीन हो गयी और ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनीं, पर हावड़ा की स्थिति नहीं बदली है. अब भी खस्ताहाल सड़कें, रास्तों पर बजबजाते नाले और हल्की बारिश के बाद जल जमाव- यही हावड़ा की नियति बन गयी है. जिले की सड़कों पर जहां-तहां खुले मैनहोल व नालियां अब हादसों को भी दस्तक देने लगी हैं. जिले की सड़कें हों या फिर नाले, सब खस्ताहाल हैं. नाली के पानी से फिसलन भरी सड़कों पर कई बार लोग गिर कर घायल भी हो चुके हैं. हावड़ा मैदान हो या फिर घुसुड़ी या सलकिया, सभी की स्थिति एक-सी ही है. स्थिति में सुधार की मांग को लेकर इलाके के लोग कई बार सड़क जाम भी कर चुके हैं. इस स्थिति का मुख्य कारण है नालों की सफाई न होना. नाले जाम होने से पानी बह नहीं पाता और सड़ांध फैलती है. वार्ड छह, सात, आठ व 10 की एक ही स्थिति है. उसी गंदे नाले के पानी के बीच स्कूली बच्चे व स्थानीय लोग आ-जा रहे हैं. पूरे मोहल्ले में गंदगी पसरी है. इससे बीमारी फैलने की आशंका है. खुले नाले से मलेरिया, डेंगू होने का खतरा भी बना रहता है. यही हाल सलकिया के धर्मतला समेत कई इलाकों का है. खुले मैनहोल दे रहे मौत को दावत गली-मोहल्लों का बुरा हाल तो है ही, पर जब हावड़ा की मुख्य सड़कों की स्थिति भी खस्ता हो, तो फिर उस शहर के लोगों का भगवान ही भला कर सकते हैं. आलम यह है कि कहीं खुले नाले, तो कहीं खुले मैनहोल, इंसान की जिंदगी को लीलने को तैयार हैं. उत्तर हावड़ा, बाली, घुसुड़ी के कई इलाकों की सड़कों के मैनहोल खुले है. जिस पर हावड़ा नगर निगम का ध्यान भी नहीं जा रहा. सब राम भरोसे चल रहा है. स्थानीय लोगों की शिकायत है कि कई बार यहां बड़े गड्ढ़ों के कारण वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं. यही स्थिति हावड़ा-दीघा बस स्टैंड की भी है. इस बस स्टैंड पर बने नालों के स्लैब टूटे हैं. कई राहगीर गिर कर चोटिल हो चुके हैं. सड़क के किनारे नालों के कंक्रीट के स्लैब टूट गये हैं. उनमें गिर कर कई बार बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक चोटिल हुए हैं. गंदा व बदबूदार पानी जमा होने से आसपास के दुकानदार, स्कूली बच्चों व आम राहगीरों को नाक पर रुमाल रख कर गुजरना पड़ता है.

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