कोलकाता. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार पहली बार केंद्रीय मंत्री बने. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उन्होंने भी शपथ ली. दूसरी बार बालुरघाट से उन्होंने चुनाव जीता. मजूमदार के नेतृत्व में भाजपा इस बार वह कमाल नहीं दिखा पायी, जो 2019 में भाजपा ने दिखाया था. 2019 में भाजपा ने 18 सीटें जीती थीं. इस बार छह सीट कम हो गये. भाजपा की झोली में सिर्फ 12 सीटें ही आयीं. इसके बावजूद वह मंत्री पद के दावेदार हुए. मंत्री बनने की सूचना मिलने पर मजूमदार ने नरेंद्र मोदी व जेपी नड्डा को धन्यवाद दिया. वर्ष 2019 में वह पहली बार सांसद बने थे. यहीं से उनका राजनीतिक जीवन भी शुरू हुआ. पिछले तीन साल से वह भाजपा का अध्यक्ष पद भी संभाल रहे हैं. सुकांत मजूमदार ने कहा : मैं पार्टी का एक साधारण कार्यकर्ता हूं. मुझे कोई पहचानता भी नहीं था. लेकिन मुझे पार्टी ने बहुत कुछ दिया. उन्होंने कहा कि पूरे परिवार में उन्होंने ही सबसे अधिक पढ़ाई-लिखाई की. मैं कृषक परिवार की संतान हूं. मैरे दादा-परदादा कृषि कार्य से जुड़े हुए थे. किसी ने कभी राजनीति नहीं की. पूरा परिवार ग्रामीण परिवेश में रहा है. उन्होंने कहा कि परिवार को मंत्री बनने की खबर सुनाने के बाद भी बालुरघाट जैसे दुर्गम इलाके से परिवार के लोग दिल्ली नहीं पहुंच पाये. उन्होंने कहा कि दिल्ली के लिए इसी बीच ट्रेन परिसेवा शुरू की है. उनका कहना था कि राज्य सरकार से 50 फीसदी सहयोग मिला, तो बालुरघाट से विमान परिसेवा भी शुरू की जायेगी. मंत्री बनने के बाद वह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बने रहेंगे या नहीं, इस पर उन्होंने स्पष्ट कोई जवाब नहीं दिया.
बता दें कि बालुरघाट लोकसभा सीट से सुकांत मजूमदार ने करीब 10 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीता था. उन्हें कुल पांच लाख 74 हजार 996 वोट मिले. वहीं, उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी और तृणमूल नेता बिप्लब मित्रा को पांच लाख 64 हजार 610 वोटों से ही संतोष करना पड़ा था. 29 दिसंबर 1979 को जन्मे सुकांत मजूमदार के पिता सुशांत कुमार मजूमदार पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारी थे. वहीं, उनकी मां निबेदिता मजूमदार भी राज्य सरकार की एक प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका थीं.
सुकांत मजूमदार ने उत्तर बंगाल यूनिवर्सिटी से बॉटनी विषय से एमएससी करने के बाद बीएड और पीएचडी की है. शिक्षा पूरी होने के बाद वह कुछ दिनों तक मालदा जिले में गौर बंग यूनिवर्सिटी में बॉटनी के प्रोफेसर भी रहे. उनकी 15 से अधिक पत्र-पत्रिकाओं में शोध पत्र भी प्रकाशित हुए हैं. इसी दौरान वह भारतीय जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष देबी दास चौधरी के संपर्क में आये और फिर उन्हीं के निर्देशन में वह पहले आरएसएस से जुड़े और फिर राजनीति में आ गये. लंबे समय तक आरएसएस में सक्रिय रहने के बाद सुकांत ने 2010 के दशक में भाजपा ज्वाइन किया था. वह काफी समय तक भाजपा संगठन में रहकर भी काम किये. इसके बाद साल 2019 में पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव के मैदान में उतरे. उस समय सुकांत मजूमदार ने तृणमूल की सांसद अर्पिता घोष को 33 हजार 293 वोटों से हराया था. उस समय वह पहली बार सांसद चुने गये थे. 20 सितंबर 2021 को भाजपा ने सुकांत मजूमदार को दिलीप घोष की जगह पश्चिम बंगाल का प्रदेश अध्यक्ष बनाया.
उन्होंने अपने दम पर ना केवल उत्तर बंगाल, बल्कि पूरे पश्चिम बंगाल में भाजपा को पुनर्जीवित करने का काम किया. साल 2019 में विजय के बाद वह सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति और याचिका समिति के सदस्य रहे हैं. सुकांत मजूमदार ने चुनाव आयोग को दिये शपथपत्र में करीब एक करोड़ 25 लाख की संपत्ति का दावा किया है. हालांकि, इसमें उन्होंने 11 लाख 25 हजार की देनदारी भी गिनायी है. इस शपथपत्र में उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एक दर्जन से अधिक मुकदमों का भी जिक्र किया है. हालांकि इनमें से किसी भी मुकदमे में अभी तक आरोप तय नहीं हुए हैं.
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